मालिनी ने जब भुवनेश्वर आकर यहाँ के काॅलेज में अपना दाखिला कराया था, तो उस समय जुलाई का महीना चल रहा था। यानी कि मानसून का समय। जिसदिन उसने अपना एडमिशन कराया था उसी रोज उसका सरोजिनी नामक काॅलेज के गर्ल्स होस्टल में सीट अलाॅट भी हो गया था। अब अपना ज्यादा सामान तो वह साथ लेकर आई न थी। इसलिए शाम को पिताजी के साथ वह बाज़ार चली गई थी।
बेडिंग इत्यादि जरूरत का कई सामान खरीदकर उन्होंने( पिता जी ने) जैसे ही रिक्शे पर चढ़ाया था, कि बारिश की कुछ बूँदे गिरने लग गई थी। धीरे- धीरे मूसलाधार बारिश होने लगी। रिक्शा होस्टल के गेट तक पहुँचते- पहुँचते लोहे की बनी ट्रंक और बेडिंग पूरा का पूरा गिला हो चुका था।
ट्रंक तो लोहे की थी, इसलिए उसके भींगने के कारण कोई खास नुकसान न हुआ था। परंतु बेडिंग का रुई, कपड़ा, और गिलाफ तक भींग चुका था, जिसे सूखने में कई दिन लग गए थे। साथ ही साथ असावधनतावश मालिनी की कलाई घड़ी में भी पानी चले जाने के कारण उसने भी काम करना बंद कर दिया था।
मालिनी राजस्थान की रहनेवाली थी। उसने ऐसी बारिश पहले कभी न देखी थी। उसकी माँ नहीं थी। इकलौती मौसी भुवनेश्वर में रहती थी। अतः उसने मौसी के पास रहकर अपना ग्रेजुएशन पूरी करने की सोची थी। मौसी का भी आग्रह था। इसलिए उसने यहाँ के होस्टल में अपना दाखिला करवाया था। परंतु पहले ही रोज़ बारिश ने उसका इस मंदिरों के शहर, ईश्वर के घर में बड़ा भव्य- सा स्वागत किया था! उसे बारिश बेहद पसंद थी। कुछ इस कारण भी उसने इसके ज्यादा स्वाद पहले कभी न चखा था।
इसके बाद वह इस शहर में पाँच बरस तक रही और अपनी पढ़ाई भी पूरी की थी। हाँ, इस बीच मौसा जी का किसी और शहर में तबादला हो गया था। मौसी के बार- बार साथ चलने का आग्रह भी उसने ठुकरा दिया था! क्योंकि तब तक इस शहर से और यहाँ की बारिश से उसे बेइंतहा प्यार हो चुका था।
आगे चलकर नौकरी और बाद में शादी करके मालिनी भुवनेश्वर में ही बस गई थी। उसने अपने काॅलेज के एक ओडिया सहपाठी हृषिकेश पंडा से शादी कर ली थी। उसने यहाँ की स्थानीय भाषा ओडिया भी सीख ली थी। वे आजकल यहाँ की यूनिवर्सिटी वाणी- विहार में प्राध्यापिका है।
यहाँ आने के पहले ही दिन उस होस्टल वाली वारिश ( मालिनी आज भी मौसम की पहली वारिश को इसी नाम से पुकारती है) से मालिनी इतनी प्रभावित हुई थी कि उसे वह दिन आज भी याद है। अब भी मौसम की पहली बारिश में वह खूब भींगती है।
उसे ऐसा लगता है कि वारिश में यूँ भींगने से उसका सालभर का दुःख, क्लेश और सारी नकारात्मक भावनाएँ वर्षा अपने पानी से धोकर उसे एक नई ऊर्जा प्रदान कर जाया करती है। अब यह उसका निजी विश्वास है, हम इस बारे में क्या कह सकते हैं?!!
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very nice 💐💐
शुक्रिया नेहा जी🙏जल्दी जल्दी में कुछ लिख दिया था।
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