तेरे बिना भी क्या जीना- 15

माहिरा घर जाने लगती है तो रास्ते में कुछ ऐसा होता है कि उसकी जिन्दगी बदल जाती है।

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 15 May, 2022 | 1 min read

माहिरा को अब कुछ लोगों के हँसने और ऊँची आवाज़ में बोलने की आवाज सुनाई देने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि कुछ लोग उस गोलपोस्ट के पास जमा हुए हैं और एक साथ कुछ कर रहे हैं। कुछ और आगे बढ़ने पर एक तीक्ष्ण गंध उसकी नाक पर आ लगी। इसी समय उन लोगों के बीच कोई अट्टहास कर बैठा था। थोड़ी देर में उसी गिरोह में से एक पुरुष- कंठ ने कहा,

" अरे चुप, चुप! लगता है कोई इधर चला आ रहा है,,, अरे ये तो हमारी फूलन देवी है,,,, अरे,, हटाओ जी सबकुछ। फूलन देवी देख लेंगी तो फिर से कोई हंगामा करेगी,,,!"

इतना सुनते ही माहिरा ने तुरंत मुन्ना की आवाज़ पहचान ली। मुन्ना राजा का दाहिना हाथ था। और उनके गिरोह के लोग गलत काम करने के लिए काफी मशहूर थे। किसी लड़की को छेड़ देना, कहीं पर छुपकर दारु पीना, परीक्षा में नकल करना, फिर बचने के लिए अध्यापकों को घूस देना, नहीं मानने पर अध्यापकों के परिवार में से किसी को अगुआ करके उन पर दवाब डालना,, यह सब राजा के बाएँ हाथ का खेल था।


माहिरा और उसके कई दोस्त मिलकर इन लोगों को कई बार टोक चुकी है। परंतु उसका नतीज़ा यह हुआ कि वे लोग माहिरा के ही खिलाफ हो गए। एक तरह से आज कल इन दोनों गुटों के बीच एक अलिखित दुश्मनी सी पैदा हो गई थी।


"हो न हो, ये लोग आज भी कुछ कांड जरूर कर रहे होंगे। तभी इतनी रात को इनका गिरोह इस जगह पर एकजुट हुए हैं। चल कर देखना चाहिए कि क्या पक रहा है, इधर!" माहिरा स्वगत ऐसा कहकर तेज कदमों से राजा के गैंग के पास जाकर खड़ी हो गई।


जैसा उसने सोचा था वही पाया। आज ये लोग किसी गैरकानूनी ड्रग्स का सेवन कर रहे थे। सामने जड़ी-बुटी, सिगरेट बनाने का रोल और सभी सामान वहाँ पर मौजूद था। एक लड़का अपने हाथों से वह बूटी छानकर सिगरेटनुमा रोल बना- बनाकर सबको दे रहा था। साथ ही बीच में कुछ सफेद पाऊडर से भरे पैकेट भी रखे हुए थे। शायद, शायद ही क्यों? माहिरा अब निश्चित तौर पर कह सकती थी कि काॅलिज के विद्यार्थियों के बीच ड्रग की आपूर्ति इन्हीं लोगों के द्वारा किया जाता है।

माहिरा के बैग में एक कैमरा था। वह आज किसी विशेष परीक्षण का फोटो लेने के कारण घर से कैमरा लेकर आई थी।

उसने सोचा कि यह ड्रग रैकेट पूरे काॅलेज का माहौल बिगाड़ रहा है परंतु काॅलेज अथरिटी जान- बूझकर भी अंधी बनने का नाटक कर रही है। कुछ सबूत उसके पास होगा तो माहिरा इस चक्र को काम करने से रोक सकती है।

यह बात याद आते ही उसने अपने बैग से फटाक् से कैमरा को निकाल लिया और लगे हाथ दो चार फोटो भी खींच लिया। लेकिन फ्लैश लाइट का प्रकाश पड़ते ही जो, लड़का बुटी छान रहा था वह चिल्ला पड़ा,

" गुरु,,, यह लड़की तो हमारी फोटो खींच रही है!"

" इतनी हिम्मत?! लगता है कि अब चींटियों के भी पर निकल आए हैं जो अब वे हाथियों से भिड़ने की तैयारी करने लगे हैं!" उसके गुरु ने जवाब दिया।


" पकड़ो इसे, इसका कैमरा छिन लो!" राजा ने अपने साथियों से कहा।

माहिरा स्थिति को भाँपकर पहले ही गेट की ओर दौड़ने लगी थी। पर इससे पहले कि वह काॅलेज गेट पार कर सड़क पर आ पाती, तीन लड़कों ने उसे घेर कर पकड़ लिया। 


काॅलेज गेट के करीब पाँच सौ मीटर की दूरी पर माहिरा को उन लड़को के गिरोह ने दबोच लिया। उसका कैमरा हाथ से गिरकर उससे एक मीटर की दूरी पर गिरा हुआ है। उसका लैन्स टूट गया था। उन्हीं में से एक लड़के ने उसे उठाकर पहले उसका रोल निकाल लिया और फिर उसे दुबारा जमीन पर गिरा कर अपने पैरों तले खूब रौंद दिया।


दूसरे लड़के ने तब तक माहिरा को उसकी चोटी से खींचकर जमीन पर गिरा दिया और बाकी बचे लड़के उस पर ताबोड़- तोड़ लात- घूसे से वार करने लगे। उन लड़कों का सरगना राजा तब वहाँ कमर पर हाथ रखे सबकुछ देख रहा था।


इतने मार-पीट से माहिरा को ऐसा लगा कि जैसे उसके सुकोमल होंठों से लहू निकलने लगी है। लड़कों ने मिलकर तब कुछ टूटे फूटे टायर और कागज़ इकट्ठा करके उसमें आग लगा दी थी। उस जलती लौ के पास पड़ी माहिरा चोट से कराहने लगी थी। उसने अपनी आँखों से देखा कि उसका कैमरा और उसका बैग, जिसे कंधे पर लटकाए वह रोज़ काॅलेज आती थी, इस समय उस अग्नि के गर्भ में समा चुका था!

अपनी जीत पर खुश होकर वे सारे लड़के अब ज़ोर- जोर से हँसने लगे थे। उनमें से जिसका नाम पिंटू था उसने इस जश्न को मनाने के लिए एक महंगी विलायती शराब का बोतल खोल लिया और सभी बारी- बारी में उस पर मुँह लगाकर उससे पीने लगे।

राजा अब नशे में धुत्त हो गया था। वह आकर माहिरा के पास उकड़ू होकर बैठ गया। फिर उसने माहिरा को ठुड्डी से पकड़ कर उठाते हुआ बोला,

" बोल साली, अब बताएगी सबको?"

और उसने उसकी ठुड्डी को पकड़कर उसके गरदन को ज़ोर से मरोड़ दिया। मारे दर्द के इस बार माहिरा बेहोश हो गई।

क्रमशः


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