चितवन

A poetry on first crush

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 23 Feb, 2021 | 1 min read

वयःसंधि में एकबार,

किसी को हो गया था,

मुझसे प्यार।

मुझे पसंद नहीं था तब,यह सब,

सोचा, कि आया होगा कोई नया रोमियो अब;

अपनी खूबसूरत निगाहों से देखा करता था वह एकटक जब।

पर उस ओर तकते ही

झट हट जाया करती थी वह चितवन!

शनैः शनैः झनझना उठे थे

हृतंत्री के सारे तार,

मुझको भी होने लगा था

अब हल्का-हल्का सा प्यार।

पर करती रही मैं अनदेखा,

उस मूक प्रणय को।

लेकिन, धीरे-धीरे बढ़ रही थी

बेचैनियाॅ इस ओर भी।

किसी ने धीमे से छेड़ दी हो

मानो कोई रागिणी नई!!

बहुत वर्ष हुए अब उस घटना को,

पर वे निगाहे आज भी अंकित है अंतस् में कहीं!

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