टिना और सारांश पाँव- पाँव चलकर अब नग्गर पहुँच चुके थे। भूख भी बहुत लग रही थी, उन्हें! इनका कमरा दूसरी मंज़िल पर था तो इन्होंने तय किया कि पहले भोजन करके फिर अपने कमरे में जाएँगे। घड़ी में इस समय करीब तीन बज रहे थे। परंतु रेस्टोरेन्ट बिलकुल खाली था। न कोई मेहमान और न ही कोई मेज़बान नज़र आ रहा था, वहाँ पर कोई।हाँ, कमरे की सारी बत्तियाँ जल रही थी और पंखे भी घूम रहे थे। सारांश के बहुत आवाज़ लगाने पर पीछे का दरवाज़ा खोलकर एक वेटर ने अपना जलवा दिखाया, और बोला-- " साहब, लंच टाइम तो खतम हो चुका है।" " धत्त तरीकी!" सारांश अब बहुत चिड़चिड़ाने लगा। सुबह से सिर्फ एक के बाद एक घटनाओं का घटाटोप, पुलिस से निपटना और अभी भूख लगी है तो -- नो खाना! वह वेटर से बोला, " भाई देखो न, कुछ बचा-खुचा भी चलेगा। जो भी हो खिला दो। ज़ोरों से भूख लग रही है। अब खाना नहीं मिला तो मैं यह मेज़पोश ही उठाकर खा जाऊँगा!" " अरे साहब!" वेटर हँसा। " न्यूडल्स चलेगा? --- वह बनवा सकता हूँ।" अंधा को आँखें मिल जाए तो और क्या चाहिए--? इसी तरह सारांश बोला। " चलेगा क्या नहीं भाई?-- दौड़ेगा! जल्दी से ले आओ।" उसके बोलने के लहजे पर वेटर फिर से हँस दिया और उससे बोला-- " आप बैठिए, साहब, मैं अभी लेकर आता हूँ।" इतना कहकर वह अंदर चला गया। थोड़ी देर बाद दुबारा आकर उसने दो काँच के गिलासों में पानी भरकर उनके टेबुल पर रखकर चला गया। आसपास बहुत मक्खियाँ भिनक रही थी। बाएँ हाथ से मक्खी उड़ाता हुआ सारांश ने पास बैठी टिना से पूछा- " अब तो आएदिन पुलिस स्टेशन का चक्कर लगाना पड़ेगा? आए थे हनिमून मनाने-- और कहाँ इस मर्डर केस में फँस गए!" " हूँ? हाँ!! " कुछ सोचती हुई टिना ने जवाब दिया था! खाना परोसते समय वेटर ने उनके कमरे की चाबी पर रूम नंबर देखकर बोला, " आपके बगल वाले कमरे में जो साहब ठहरे हैं, उनकी बहन आज सुबह से गायब है! अभी थोड़ी देर पहले पुलिस आई थी, इन्क्वारी के लिए?" " हैं !! फिर क्या हुआ? मिलीं?" सारांश ने हैरानी से पूछा। टिना भी खाना छोड़कर वेटर का मुँह आश्चर्य से ताकने लगी! " नहीं साहब! पुलिस खोज़बीन कर रही है। कल ही आए हैं वे लोग भी। आप लोगों के पहुँचने के घंटा भर पहले ही उन्होंने भी चेक- इन किया था। " वेटर ने जानकारी दी। खाना खाकर जब दोनों अपने कमरे की ओर जाने लगे तो वही भाई, जिसकी बहन लापता थी, गलियारे में चिंतित चेहरा लिए चहलकदमी करता हुआ देखा गया। एक बार वह कमरे के अंदर चला जाता था फिर तुरंत बाहर आकर दुबारा टहलने लग जाता! बीच- बीच हाथ की मुट्ठी बनाकर हवा में एक- दो मुक्के मार लेता था! उस सज्जन की उम्र कोई पच्चीस -छब्बीस वर्ष की रही होगी। ऊँचा कद, रंग श्यामल। हट्ठा- कट्ठा पहलवानी चेहरा। बाल काले और किंचित घुँघरालू थे। उसे इस तरह से चिंतित देखकर सारांश ने आगे बढ़कर उससे हाथ मिलाया और अपना परिचय दिया एवं उससे कहा, " आपकी बहन के बारे में अभी- अभी सुना है। चिंता न करें। आशा करता हूँ कि वे जल्दी ही आपको मिल जाएगी। पुलिस जरूर उन्हें ढूँढ निकालेगी।" वह आदमी जिसका नाम नवीन चड्ढा था उसने बताया कि दोनों भाई बहन चण्डीगढ़ में रहते हैं। वह नौकरी करता है और उसकी बहन वहीं एक काॅलेज में पढ़ती हैं। उनके माता- पिता नहीं है। बहन होस्टल में रहकर पढ़ती है। भाई बंगलौर में आई टी में नौकरी करता है। बहन का इम्तिहान हो गया था तो भैया के घर आने पर कहने लगी कि उसे मनाली घूमाकर लाए। इसी से दोनों भाई बहन मनाली आए हैं। कहते हुए वह नवीन रो पड़ा। उसकी बातों से लग रहा था कि वह अपनी बहनसे कितना प्यार करता है। टिना भी उसे सांत्वना देने लगी। वह नवीन से बोली कि वे लोग बगल में ही ठहरे हैं। किसी भी चीज़ की अगर जरूरत हो तो उन्हें जरूर बताएँ। इसके बाद टिना नवीन से पूछ बैठी , " आपकी बहन की कोई फोटो है आपके पास?" " हाँ है, ठहरिए लेकर आता हूँ।" कहकर नवीन कमरे से अपनी मोबाइल उठाकर लाया और गैलरी खोलकर अपनी बहन की फोटो दिखाने लगा। एक फोटो दिखाकर वह बोला, " आज सुबह जब वह बाहर जा रही थी तो मैंने उसकी यह वाली तस्वीर ली थी।" फोटो देखकर टिना स्तब्ध सी हो गई थी!! उसके चेहरा डर से पूरा स्याह पड़ गया था। उसका सर चकराने लगा था। यह तो वही पीली सूट है। जिसे उसने लाश पर देखी थी। लड़की के हाथ पैर भी बिलकुल वैसे ही थे!! लाश का चेहरा कत्ल के बाद बुरी तरह से कुचलकर नष्ट कर दिया गया था। इसलिए वह उसे पहचान न पाई थी। परंतु उसका मन कहने लगा कि हो न हो यह वही लड़की है। टिना इतनी घबरा गई थी कि वह बिना किसी से कुछ कहे तुरंत अपने कमरे में आ गई। पसीने से उसका चेहरे पूरी तरह से भींग गया था। वह वाशरूम में जाकर अपने चेहरे पर जोर- जोर से पानी के छींटे मारने लगी। फिर विस्तर पर आकर गिर गई।
क़ातिल कौन ( भाग- 3, चश्मदीद गवाह)
कुछ सुराग मिलने के बाद, अब पता चलता है कि लाश किसकी है-- टिना अब क्या करेगी?
Originally published in hi
Moumita Bagchi
28 Oct, 2020 | 1 min read
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