"ईशा,, यह सौरभ कौन है? और तुम्हारे साथ सौरभ का क्या रिश्ता है?"
" वह तुम्हें लव इमोजिस क्यों भेजता है??"
"अच्छा तो, तुम दोनों लांग डिस्टेन्स रिलेशनशीप में हो?!!"
कार्तिक ने सोती हुई पत्नी ईशा को ज़ोर से धक्का देकर पूछा। वह बेहद गुस्से में था, क्योंकि उसे ईशा और सौरभ के नाजायज़ रिश्ते के बारे में पता चल चुका था।
अब सब कुछ उसकी आँखों के आगे पानी की तरह साफ था!
पर ईशा,,, इतने बड़े इल्ज़ाम लगने पर भी उसने कोई जवाब नहीं दिया! केवल इतना ही बोली,
" रात बहुत हो गई है, कार्तिक। कल बातें करते है।" और वह करवट बदल कर फिर से सो गई।
उसके सोते ही कार्तिक ने पहले तो ईशा के फोन को ऑनलाॅक किया। फिर उसी के बगल में बैठ कर सौरभ द्वारा भेजे गए सारे मैसेजेस को पढ़ने लगा। क्रमशः उसका शक मजबूत होता चला गया!
ईशा और सौरभ के सारे संदेश उन दोनों के नाजायज रिश्तों की ओर ज़ोर - शोर से संकेत कर रहे थे। साथ में, दोनों के कुछ अंतरंग फोटोज़ भी थे उन मैसेजेस के भीतर!!
इसके बाद कार्तिक, रात भर सो नहीं पाया! उसे लगा कि जैसे किसी ने उसके पुरषत्व,, उसके अहम् पर,, जबर्दस्त हमला बोला हो!!!
सुबह ब्रेकफास्ट टेबल पर ईशा जैसे ही नाश्ता लेकर आई तो उसके सामने प्लेट रखते ही कार्तिक ने मारे गुस्से से वह प्लेट जमीन पर पटक दी।
" कार्तिक बिहैब योरसेल्फ--- यह कैसी बचकानी हरकतें कर रहे हो?" ईशा ने ज़रा ऊँची आवाज़ में उसको गिलास फेंकने से रोकते हुए कहा।
" बचकानी!!? साला--- मेरी पत्नी किसी और के साथ सोए--- और मैं कुछ न कह सकूँ??,, भक्क -- यह भी कोई जिन्दगी है?" कार्तिक शीशे की डाइनिंग टेबल को एक ज़ोरदार मुक्का जमाते हुए बोला।
" पत्नी? किसकी पत्नी,, कार्तिक? आज तुम्हें अपना पति होने का अहसास हो रहा है? पर उस दिन तो तुमने ही कहा था कि हम ओपन रिलेशनशीप में हैं? किसी से भी संबंध बना सकते हैं -- इस शादी के बाहर,,, और हममे से किसी को भी इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए?-- यही कहा था न?"
इतना कह कर ईशा बेडरूम में चली गई। उसका नाश्ता टेबल पर पड़ा रह गया।
सही ,, बिलकुल सही! ईशा जो अभी- अभी कहकर गई है वह अक्षरशः सही है।
कुछ महीने पहले स्वयं कार्तिक ने यही शब्द ईशा को बोले थे, जब उसको अपनी सेक्रेटरी रिया से इश्क हो गया था!!! जब ईशा उससे जवाबतलब करने आई थी तो कार्तिक ने इन्हीं शब्दों के द्वारा खुद को डिफेन्ड किया था।
ओपन रिलेशनशिप !!,, पति या पत्नी अथवा दोनों ही इस प्रकार के रिलेशनशीप में विवाहेतर संबंध बना सकते हैं और दोनों को ही वे संबंध मान्य होंगे।
ईशा ने तो आखिर मान ली थी रिया और उसका संबंध! फिर आज उसे क्यों इतनी तकलीफ हो रही है? ओह--- फिर क्या रिश्तों में बराबरी सचमुच संभव नहीं है? सहनशक्ति केवल नारियों के वश में होती है?
इसी उधेरबुन में पड़ा कार्तिक धीरे- धीरे ईशा के नाश्ते का प्लेट अपनी ओर खींचकर उसमें से खाने लगा था!! और उधर उसका स्वयं का प्लेट द्विखंडित होकर फर्श पर पड़ा हुआ था जिसमें से खाद्य- सामग्री इधर- उधर बिखरी हुई थी।
बेडरूम में जाकर ईशा फोन पर किसी का नंबर मिलाती है। फिर दबी जुबान में वह बोली,
" सुनिए, हमारी तरकीब कामयाब रही!!आज मैंने कार्तिक की आँखों में आपके प्रति भयानक ईर्ष्या देखी है। लगता है, उसने कल रात को हमारे सारे मैसेज़स पढ़ डाले है! मेरा साथ देने के लिए आपका बहुत आभार,भैया!! आपकी इसी दया से अब शायद मेरी गृहस्थी संभल जाएगी।!!"
Comments
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