मेरा बेटा जब चार साल बाद होस्टल से घर आया तो हम उसे लेने स्टेशन गए थे। चार साल बाद उसे देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए और मैं उसके गले से लिपट गई। परंतु वह झट से अलग हो गया। " मम्मा क्या कर रही हो? पीडीए क्यों कर रही हो?" उसका सवाल था। ******************************************कोई बीस साल बाद दो स्कूल के दोस्त मिलते हैं और उनके खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता , वे दोनों कसकर एक दूसरे के गले लग जाते हैं। लड़की का पति और लड़के की पत्नी दोनों एक-दूसरे का मुंह देखते हैं। फिर लड़की का पति खासकर दो बिछुड़े हुए दोस्त का ध्यान आकर्षित करते हैं और अपनी पत्नी का हाथ पकड़कर उसे पीछे खिंच लाते हैं और उसे याद दिलाते हैं कि यह सार्वजनिक स्थल है। उसे यहाॅ ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए ( क्या घर पर भी एक शादीशुदा लड़की परिवार के सामने अपने पुरुष दोस्त से गले मिल सकती है? खैर जाने दीजिए-- ऐसे सवाल नहीं पूछनी चाहिए।) ******************************************एक बहन अपने भाई को लेने एयरपोर्ट गई थी। उसका भाई कोई सात साल बाद विदेश से घर लौट रहा था। दोनो भाई-बहन एक दूसरे से मिलते ही स्नेह के अतिरेक में सबकुछ भूलकर गले लग जाते है। लड़के को तो कोई कुछ नहीं कहता। हमारे देश में लड़कों के लिए सबकुछ के लिए माफी है, परंतु लड़की को चारो ओर से बेशर्म, बदचलन, लाज-हया से गई , माॅ ने कुछ न सीखाया आदि कई बातें आस-पास के लोग आते-जाते सुनाकर चले जाते हैं। ******************************************चौथी घटना इससे ज्यादा भयानक है। सालभर पहले सभी टीवी चैनलों और अखबारों में आ चुका है। अतः एक वास्तविक घटना है। कलकत्ता में दो युवा प्रेमी मेट्रो ट्रेन में सफर कर रहे थे। किसी समय प्रेमवश उस युवक ने अपनी प्रेमिका को हाथ लगाया होगा कि प्रेमातिरेक में उसका चुंबन किया होगा ,पता नहीं क्या हुआ, लेकिन कमरे में जितने भी अधेड़ मर्द थे वे अपने सीट से उठ गए और ताबड़-तोड़ उस युवा को पीटने लगे। जिसके हाथ में जो था उसी से पिटाई करने लगे। यहाॅ तक कि लड़की जब उन लोगो से अपने प्रेमी को बचाने में नाकाम रही तो वह उस युवा के ऊपर गिर गई तो उन महानुभावों ने उसके लड़की को भी दो चार -लात और घूसे बरसा दिए। उस बेचारे लड़के का दोष इतना ही था कि वह सार्वजनिक स्थान पर अपने प्यार का इजहार कर रहा था। ********************************************** एक नई नवेली दुल्हन अपने पति के साथ पहली बार अकेली घूमने निकली। तो वह राह चलते एकबार प्रेमवश अपने पति का हाथ पकड़ने की कोशिश करती है तो संयुक्त परिवार में पला पति उसका हाथ झटककर दूर हो जाता है। लोग देख रहे हैं!!
उपर्युक्त सारी घटनाएं पीडीए से संबंधित है। पीडीए यानी कि सार्वजनिक स्थल पर अपने प्यार का प्रदर्शन करना। लोग देख लेंगे। वे क्या सोचेंगे आदि बातों से हम सदा ही त्रस्त रहते हैं। और खुलकर कभी सबके सामने अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाते हैं। 'लोग क्या सोचेंगे हमारे बारे में' सोचते हुए हमारी पूरी जिन्दगी गुजर जाती है। पता नहीं लोगों को अपनी जिन्दगी से ज्यादा दूसरों की जिन्दगी की इतनी क्यों पड़ी रहती है? वे हमेशा दूसरों की जिन्दगी में दखल-अंदाज़ी से बाज़ नहीं आते।ऐसा केवल हमारे देश में ही होता है।
विदेशों में सार्वजनिक साधनों में सफर करते समय ऐसे अनेक पीडीए के पल आप देख सकते हैं। मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है।परंतु वहाॅ आँख उठाकर भी प्रेमियों को देखना शिष्टाचार के खिलाफ समझा जाता हैं। वहाॅ दूसरों की वैयक्तिक जिन्दगी में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाता। पता नहीं, इस मामले में हमारा देश ज्यादा सभ्य है अथवा उनका???
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत अच्छा लेख है |
बहुत आभार, सुरभि जी🥰 कैसी हैं आप?
Please Login or Create a free account to comment.