सारांश तो हँस- हँसकर पागल हो रहा था। वह सड़क के किनारे पर लगे एक ऊँचे से पत्थर पर जाकर बैठ गया। अभी भी उसकी हँसी बंद होने का नाम न ले रही थी। वह अपना पेट पकड़कर हँस रहा था। लेकिन टिना नीचे ही रह गई थी। उसने सबसे पहले जहाँ पर लाश मिली थी, वहाँ पर पत्थर से लकीर खींचकर एक गुणा का चिह्न "×" लगा दिया । बड़े क्राइम डिटेक्टिव ऐसा अकसर किया करते हैं और पुलिस भी। उसने क्राइम मूविज़ में देख रखा था। (इसी को x - marks the spot कहते हैं।) फिर कुछ सुराग ढूँढने के लिए, इधर- उधर देखने लगी। क्राइम के सीन से थोड़ी दूर पर उसका पीला जार्जेट का दुपट्टा पड़ा हुआ मिला। उसने उसे उठा लिया। और जैसे ही उसे उठाया उसके नीचे दबी हुई कुछ धातु की चीज़ उसके हाथ से छूटकर जमीन पर गिर पड़ी। फिर से हाथ में उठाकर जब उहने गौर से उस वस्तु को देखा तो पाया कि वह तो पुराने जमाने की चेन से लगी हुई कोई घड़ी थी। उसे लगा कि पहले भी कभी वह इस चीज़ को कहीं पर देख चुकी है। परंतु दिमाग पर बहुत जोर डालने पर भी उसे इस समय कुछ याद न आया! अतः उसने उसे अपने बैग में डाल लिया। उसके दुपट्टे पर खून के धब्बे पड़े थे। जिसे ले जाकर वह सीधे सारांश के सामने जाकर खड़ी हो गई और बोली, " इसे देखो।" खून के निशानों को देखकर सारांश की हँसी एकायक गायब हो गई। " ख्खून, सच में?!"" वह आश्चर्य से एक बार टिना और एकबार उसके हाथ में पकड़ी पीली चुनरी को देखे जा रहा था। " यह कहाँ था?" "हवा से उड़ गया था! अब नीचे जमीन पर पड़ा हुआ मिला!" " चलो पुलिस स्टेशन! " टिना ने अपना हुक्म सुनाया। इस बार सारांश उसे मना नहीं कर पाया। थाने पहुँचकर टिना ने सारी बात वहाँ पर ड्यूटीरत पुलिस अफसर को बताई। उसी समय पुलिस की एक टीम घटनास्थल के लिए रवाना कर दी गई। टिना और सारांश के होटल का नाम ,पता, आई डी नंबर आदि सबकुछ नोट कर लेने के बाद पुलिसवालों ने उन्हें होटल जाने दिया। साथ ही यह हिदायत दी गई कि कभी जरूरत पड़ने पर उन्हें थाने पर बुलाया जा सकता है। टिना को अपना कैमरा पुलिस स्टेशन में जमा करवाना पड़ा। लाश को आविष्कार करने से पहले तक वह फोटो खींच रही थी। इत्तेफाक से उसके द्वारा खींचे हुए आखिरी दो फोटो में लाश का कुछ हिस्सा धुंधला सा दिखाई दे रहा था। इसलिए पुलिसवालों ने जाँच- पड़ताल हेतु उसका कैमरा रख लिया था। इस बावत उसे एक रसीद भी दी गई। दो-तीन दिनों के बाद आकर वह अपना कैमरा वापस ले जा सकती है। बड़ी अजीब सी बात थी कि मरी हुई लड़की ने भी पीले रंग का सूट पहन रखा था! इस समानता का खयाल आते ही टिना अंदर ही अंदर कुछ सिहर उठी! सांराश अब बिलकुन मौन था! उसका चेहरा देखकर लगता है जैसे वह भी बहुत सहम- सा गया है। हनीमून मनाने आकर यह किस तरह की घटना में वे दोनों फँस गए थे! हे भगवान!!अब तो घूमने का सारा मज़ा ही गायब हो गया था। दोनों चुप-चाप चले जा रहे थे। टिना के माथे पर इस समय पसीने की कुछ बूँदे दिखाई दे रही थी। उसने रुमाल निकालने के लिए अपने पर्स में हाथ डाला तो अचानक उसमें रखी हुई उस चेनवाली घड़ी पर उसका हाथ पड़ गया! " अरे---र -- shit!! पुलिस को तो इसके बारे में बताना बिलकुल भूल ही गई!" टिना को रुककर पीछे मुड़ते देखकर सारांश ने प्रश्नसूचक नेत्रों से उसकी ओर देखा? मानो पूछ रहा हो--" अब क्या हुआ?" टिना सारांश को और परेशान न करना चाहती थी, इसलिए कुछ सोचकर उसने कहा, " अरे कुछ नहीं! चलो होटल चलते हैं। ज़ोर से भूख लग रही है।" --- क्रमशः--'
क़ातिल कौन? भाग-2, क़ातिल की घड़ी
एक सुराग मिला टिना को कत्ल के स्थान पर-- क्या यह सुराग उसे कातिल तक पहुँचाएगी? जानने के लिए पढ़े।
Originally published in hi
Moumita Bagchi
26 Oct, 2020 | 1 min read
0 likes
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.