टिना वाशरूम से आकर बेड पर गिर गई। रह- रहकर उसे उस लाश का विकृत चेहरा याद आ रहा था । उसका अब जी मिचलाने लगा था! उठकर वह एक बार वाशरूम जाती और फिर वापस पलंग पर आकर गिर पड़ती। इसी तरह कई बार उल्टियाँ होने की वजह से वह अब काफी कमज़ोर महसूस कर रही थी। साथ में मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की थकान से उसे अब थोड़ी नींद भी आने लगी थी। इसी हालत में वह जब सातवी बार वाशरूम से आई तो बेड पर लेटते ही उसकी आँखें मुँद आई और न जाने कब वह गहरी नींद के आगोश में चली गई! सारांश अब भी बाहर उस लड़की के भाई के साथ बतिया रहा था। टिना ने देखा कि सारांश उसके मुँह पर तकिया रखकर उसकी श्वास बंद करने की कोशिश कर रहा है! उसका दम फूलने लगा और वह हाथ पैर मारती रही। फिर उसने एक ज़ोरदार धक्का सारांश को दिया और बिस्तर पर उठकर बैठ गई! आँखें खोलने पर पता चला कि वह एक भयंकर सपना था! उसने बेडसाइड टेबुल पर रखा पानी के बोतल की ओर हाथ बढ़ाया! लगभग आधी बोतल समाप्त करने पर उसे पहली बार वह बात समझ में आई! उसकी श्वास अब सचमुच अटकने लगी थी। वह जोर- जोर से मुँह खोलकर साँस लेने की कोशिश करती रही। इसी बीच उसका wheezing आरंभ हो गया! मनाली आने के पहले से ही हल्की खाँसी उसे थी। अभी उत्तेजना और मौसम में बढ़ती ठंडाई के कारण उसकी wheezing भी चालू हो गई! कमरे के चारों ओर उसने जब अपनी नज़रें दौड़ाई तो उसे सबकुछ धुँधला-- धुँधला सा नज़र आया। खिड़की के बाहर अंधेरा घना हो चुका था और झीने परदे से छनकर आने वाली रौशनी के प्रकाश से वह जितना देख सकी उससे उसने पाया कि पूरे कमरे में इस वक्त वह बिलकुल अकेली है। जब सोने गई थी तब भी सारांश कमरे में नहीं था और अब भी वह नहीं है! इतनी देर तक वह कर क्या रहा है, बाहर? जिस समय वह सोने गई थी तब बाहर उजाला था, तब उसका बाहर रहना तो ठीक है। परंतु अब अंधेरे में, इस नई जगह पर अपनी नव विवाहिता को इस हवेली नुमा पुरानी सी होटल के कमरे में अकेली छोड़ देना--खासकर उस भयानक कत्ल के बाद! सारांश तो हमेशा से ही बड़ा जिम्मेदार इंसान था! फिर उसके द्वारा ऐसी गैर- जिम्मेदाराना हरकत? कुछ समझ नहीं पा रही है-- टिना कि आखिर यह सब हो क्या रहा है? इतना भयानक सपना देखकर टिना को अब अकेले थोड़ा डर सा भी लगने लगा था। वह उठी और लपककर बत्ती जलाने के लिए उसने बटन दबाया। पूरे कमरे में जब रौशनी फैल गई तो उसे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ! अब भी उसकी श्वासें साएं- साएं चल रही थीं। उसे अपना inhaler ढूँढना था। बहुत याद करने पर ध्यान आया कि घर से निकलते समय उसने inhaler पर्स में रख लिया था। फिर क्या था? खूँटे पर टंगी पर्स उतारकर उसमें से वह तुरंत इंहेलर निकालकर ले लाई। दो पफ उससे लेने के बाद जाकर उसके कलेजे को ठंडक मिली। साथ ही दिमाग को भी। उसकी बेचैनी अब थोड़ी कम हो गई थी। बुद्धि भी थोड़ी- थोड़ी काम करने लगी थी। तभी उसकी खुली हुई पर्स में से कोई चीज़ निकलकर ठक्क ज़मीन पर गिरी और पलंग के नीचे लुढक गई। टिना तुरंत घुटने के बल उस लकड़ी की बनी फर्श पर बैठ गई और उस वस्तु को पलंग के नीचे से खींचकर बाहर ले आई। " अरे! यह तो वही पुराने जमाने की चेन लगी हुई रोलेक्स की घड़ी है-- " यह घड़ी उसे कत्ल के स्थल पर पड़ी हुई मिली थी! इस समय उसका सामने का शीशा टूट चुका था! इसके बारे में वह अबतक भूल गई थी! थाने से लौटते समय एकबार याद जरूर आया था! और तब से यह उसके बैग में पड़ा ही रह गया। अब अगर खुद नहीं निकल आता तो शायद--वहीं रह जाता हमेशा के लिए! "परंतु कुछ तो राज़ दफन है इस घड़ी में!! बड़ी ही परिचित है यह घड़ी!! कहीं तो देखा है, इसे। अतीत की खुशबू आती है , इसमें से। इसका चेन आधा ही है-- न जाने इसका दूसरा हिस्सा कहाँ पर होगा!" टिना अब घड़ी को वापस पर्स में रखकर फोन हाथ में लेकर अपडेट्स देखने लगी! " अरे पता नहीं सारांश कहाँ रह गया!" टिना ने मन ही मन कहा! Whatsapp जब उसने खोला तो उसमें सारांश का भी एक मेसैज था-- " पुलिस स्टेशन से फोन आया था। नवीन को साथ लेकर वहीं जा रहा हूँ। तुम सो रही थी इसलिए तुम्हें नहीं जगाया! लौटने में देर हो सकती है। तुम खा लेना और मेरा खाना कमरे में रखवा लेना!" "ओह--" एक गहरी श्वास लेकर टिना बोली ," अकेले ही चले गए! मुझे जगाया भी नहीं।" वाशरूम की ओर जाने लगी तो टिना ने गौर किया कि बाहर का दरवाज़ा बिलकुल खुला हुआ है-- और कुछ लोग अंदर आकर ताँक- झाँक कर रहे हैं-- और उसे वहाँ देखकर सकपकाकर " sorry " बोलकर तुरंत सबके सब बाहर चले गए। कुछ कम उम्र के लड़कों की टोली थी! उसने अपने अस्त- व्यस्त कपड़ों को देखें और भागकर दरवाजे की कुंडी चढ़ा आई। दरअसल नग्गर काॅसेल के होटल बनने के बाद रात के नौ बजे तक सैलानी यहाँ का नज़ारा देखने के लिए ऊपर चले आते हैं। होटल वाले भी उन्हें मना नहीं करते हैं। आंगन में बैठकर पहाड़ियों का सुंदर नज़ारा देखते हुए ये लोग जब चाय-काॅफी, स्नैक्स आदि का आर्डर देते हैं तो उससे रेस्टोरेन्ट की सेल काफी बढ़ जाती है-- शायद इसीलिए। जब तक वह सो रही थी न जाने ऐसे ही कितने लोग इस कमरे में झाँककर गए हैं। सोचकर उसे अब सारांश पर बहुत गुस्सा आ रहा था! सारांश को कम से कम उसे जगाकर कुंडी लगवाने के लिए तो कहना चाहिए था! बाथरूम से निकलकर टिना को चाय पीने की इच्छा हुई तो उसने रिसेप्शन पर फोन करके चाय और पकौड़े के लिए ऑर्डर दे दिए। यह कमरा एक सुइट जैसा है। जिसमें एक बैठक है-- जो पुराने समय के असबाबों से सजा हुआ है। उसके बाद एक बड़ा सा बेडरूम हैं जिसके बीचोंबीच एक बड़ा सा राजा- महाराजे के समय का पलंग है। एक एंटीरूम भी है बाडरूम से सटा हुआ, जहाँ पर ड्रेसिंग टेबुल रखा है। वाशरूम भी पुराने जमाने का है और बहुत बड़ा है। उसकी फर्श पर पत्थर लगी हुई है। मेन दरवाज़े की हाइट बहुत कम है। सर झुकाकर कमरे में प्रवेश करना पड़ता है। बेंत की बनी सोफे पर बैठकर टिना चाय के लिए इंतज़ार करती हुई आज के पूरे दिन के बारे में सोच रही थी। तभी उसने देखा कि जगह- जगह सारांश के कपड़े फैले हुए हैं। सारांश तो ऐसा नहीं था! लगता है जल्दी- जल्दी में बाहर गया है। वह उठी और कपड़ों को तह करके सारांश के सूटकेस में रखने लगी। तभी उसकी नज़र सूटकेस के कोने पर रखी एक चमकती चीज़ पर पड़ी! उसने उसे हाथ में उठाकर देखा। यह तो कोई सुनहरी चेन थी! " अरे-- यह क्या!! कहीं यह--" वह भागी और बेडरूम से पर्स में से घड़ी निकालकर लाई। यह उसी घड़ी की चेन थी !!!! अब उसे याद आया कि ऐसी घड़ी स्कूल में पढ़ते समय उसने सारांश के पास देखी थी। वह बड़े गर्व के साथ कहा करता था कि यह उसकी दादाजी की घड़ी है। वह घड़ी अंग्रेजों के जमाने की थी। उसके दादाजी ने मरते समय अपने पोते को दिया था। उनकी पुश्तैनी सम्पत्ति थी! सारांश को यह पसंद थी, इसलिए दादाजी से उसने माँग लिया था। "परंतु यह घड़ी यदि सारांश की है-- तो वह कत्ल के स्थान पर क्या कर रही थी?" " इतना तो स्पष्ट है, कि मेरे वहाँ पहुँचने से पहले सारांश वहाँ पर जा चुका था--- क्योंकि मैं सबसे पहले वहाँ गई थी। जिस समय मुझे यह घड़ी मिली उस समय सारांश ऊपर था!!!" " इसका मतलब--- हो न हो सारांश का इस कत्ल से जरूर कोई संबंध है!" "कहीं सारांश ही तो क़ातिल नहीं है? फिर वह लड़की कौन थी? !!!" "सारांश का किसी से अफेयर तो नहीं है?!!"
क़ातिल कौन? भाग- 4 थोड़ी सी जासूसी हो जाए!
टिना को अब सुराग के आधार पर कुछ शक होने लगता है
Originally published in hi

Moumita Bagchi
07 Nov, 2020 | 1 min read
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