"खूबसूरती" पर लिखने बैठी तो ध्यान आया कि यह एक अत्यंत व्यापक शब्द है--थोड़े से शब्दों में उसे समेट पाना 'गागर में सागर' भरने वाली बात होगी। खूबसूरती का विस्तार समग्र जीवन भर है--- शिशु के जन्म होने से लेकर मृत्यु तक यह फैला हुआ है।
अब आप कहेंगे कि मृत्यु भी कहीं खूबसूरत हो सकती है? यह तो सदा दुखद ही कहलाती है। जी नहीं, मृत्यु भी खूबसूरत हो सकती है। जरा उस सूरमा के बारे में सोचिए जिसने अपनी मातृभूमि के खातिर प्राणों का बलिदान दिया है। उसकी मृत्यु को क्या कहेंगे आप?
*खूबसूरती एक आपेक्षिक शब्द है। अर्थात् जो वस्तु मुझे खूबसूरत लगे वह आपके लिए भी खूबसूरत हो ऐसा जरूरी नहीं है। इसीलिए अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि विलियम वर्ड्सवर्थ जी का कहना है--"Beauty lies in the eyes of the beholder" अर्थात् खूबसूरती देखने वालों की आंखों में निहित होती है। अब देखिए किसी सुंदर स्त्री को देखकर हम घंटों उसको निहारते हैं, उसकी खूबसूरती की चर्चा करते हैं, लेकिन प्रेमचंद जी का क्या करें? उन्होंने एक जगह पर लिखा है---मैं उस औरत को सबसे ज्यादा खूबसूरत मानता हूं जो खेतों की मेड़ पर अपने बच्चों को सुलाए अपने परिवार की भूख मिटाने के लिए सुबह से शाम तक पसीना बहाती हैं। अर्थात् खूबसूरती मातृत्व में भी है। खूबसूरती अन्न उगाने में है, खूबसूरती अपने परिवार के लिए मेहनत करने में है। कवि निराला जी की यह कविता तो आप सबने पढ़ी ही होगी-
"वह तोड़ती पत्थर ;
देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर-
वह तोड़ती पत्थर।
कोई न छायादार पेड़
वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
नत-नयन, प्रिय-कर्म-रत-मन,
गुरु हथौड़ा हाथ,
करती बार-बार
प्रहार- सामने तरु-मालिका अट्टालिका, प्राकार।"
निराला जी को इलहाबाद के मार्ग में बैठी चिलचिलाती धूप में पत्थर तोड़ती हुई यह स्त्री इतनी खूबसूरत लगी कि उन्होने उस पर एक पूरी कविता ही रच डाली।
*खूबसूरती एक अंदरूनी चीज़ है। यूं तो बाह्य सौन्दर्य हमें मंत्रमुग्ध कर देता है और फिर वह सौन्दर्य किसी नारी की हो तो कुछ भी कहने सुनने की गंजाइश नहीं, सिर्फ आंखो को अपने काम करने दीजिए। ऐसी ही खूबसूरती की एक मलिका हैं श्रीमती ऐश्वर्या राय बच्चन। उनसे साउथ अफ्रिका के सन सीटी में आयोजित विश्व सुन्दरी प्रतियोगिता के फाइनल में जब खूबसूरती को परिभाषित करने को कहा गया था तो उन्होंने कहा था-- " It is essential that every woman be beautiful but it is actually the beauty from within that counts". अर्थात् बाहर की सुंदरता या शारीरिक सुंदरता से आंतरिक सुंदरता या दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि दिल की सुंदरता ज्यादा मायने रखती है। और यह बात ऐश्र्वर्या जी भी मानती हैं।
*खूबसूरती एक अहसास भी है। बेहद खूबसूरत होते हैं वे पल जब आप रात-रात जगकर कोई प्रेसेन्टेशन तैयार करती हैं और अगले दिन सुबह आपके बाॅस और काॅलिग सब उसकी सराहना करते हैं। बेहद खूबसूरत होते हैं वे पल जब आप बच्चे के पीटीएम में जाते हैं और टीचर आपके बच्चे की प्रशंसा करती हैं ( मेरी तो आंखो में आंसू भर आते हैं, क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है?) या फिर कभी गलती से ही सही, सासु माॅ के मुंह से निकल जाए--" बेटी तूने यह कैसे किया? मेरे से तो यह हुआ ही नहीं कभी!" ( वैसे ऐसा सिर्फ दिवा-स्वप्न में ही संभव हो सकता है ,अन्यथा नहीं??) ।खूबसूरती बरसो तक बांझ कहकर अपमानित मातृत्व के कानों में पड़नेवाली शिशु के प्रथम-क्रन्दन-ध्वनि में भी है।
*खूबसूरती समस्त प्रकृति में है। हम किस्मतवाले हैं कि हमारा देश प्राकृतिक सौन्दर्य का धनी है। विश्व में ऐसा कोई देश नहीं जिसके उत्तर में हिमालय माथे के मकुट सदृश्य विराजमान है तो दक्षिण में सागर पाँव पखारता है। हमारी विविध भाषा, धर्म, वेशभूषा, खान-पान, रीति-रिवाज, त्यौहार और संस्कृति के बावजूद भी हम सब के बीच एकता और अखंडता की जो भावना व्याप्त है वह सचमुच बेहद खूबसूरत है।
*खूबसूरती एक शाश्वत वस्तु है। सौन्दर्य के प्रतिमान वक्त के साथ बदलते जरूर है पर खूबसूरती का अहसास दिलाने वाली चीज कभी नहीं बदलती। तभी तो कवि जाॅन कीट्स का कहना है-' "A thing of beauty is joy for ever."
*खूबसूरती कहाँनहीं है? खूबसूरती किसी के कर्मों में है, खूबसूरती दया, माया, ममता, क्षमा,याचना, त्याग, सद्भाभावना आदि सभी मानवीय गुणों में है। खूबसूरती प्रेम में भी है। माता जो खुद भूखी रहकर बच्चों का पेट भरती है, पति का जूठन खाकर पत्नी अपना पेट भर लेती है, पिता अपने बच्चों के खातिर ओवरटाइम करते है, अपनी बेटी की भली-भांति शादी हो जाए, उसके सुख के लिए जो पिता अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के बाद भी अपना किडनी बेचने को तैयार हो जाते है-- उस मोहब्बत में बेहद खूबसूरती है।
मेरे विचार में सर्वाधिक खूबसूरती देशभक्ति में है। अपने व्यक्तिगत भावनाओ से ऊपर उठकर जब हम देश के लिए कुछ करते हैं तो उन कर्मों की खूबसूरती देखते ही बनती है। वीर केसरिया बाना पहनकर देश की रक्षा करते हुए हँसते-हँसते मातृभूमि को अपने जीवन की भेंट चढ़ाते हैं तो वह भेंट बेहद खूबसूरत होता है। स्त्रियां जब आत्मसम्मान की रक्षा के खातिर खुशी-खुशी जौहर करती है, तो उनकी वह आत्माहुति बेहद खूबसूरत होती है।
हमारा देश ऐसी ही वीर-वीरांगनाओं से भरा हैं। तभी तो कवि ने पुष्प की अभिलाषा इस प्रकार व्यक्त की है-
"चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं,
चाह नहीं प्रेमी- माला में बिंध प्यारी को ललचाऊं,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊं,
चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ूं भाग्य को इठलाऊं,
मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शिश चढ़ाने जिस पथ जावे वीर अनेक।"
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा जीतकर पोडियम पर भारत का परचम लहराते उन खिलाड़ियों का स्वेदयुक्त चेहरा भी मुझे बहुत खूबसूरत लगता है।
********************************************** मौमिता बागची। ----------------------------
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
???
Thank you Charu❤
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