" Poetry is the spontaneous overflow of powerful feelings. It takes its origin from emotions recollected in traquility" कविता के संबंध में लिखी अंग्रेजी कवि विलियम वर्ड्सवर्थ की यह अत्यंत प्रसिद्ध पंक्ति कविता- सृजन की सही प्रक्रिया के बारे में बताती है। जब- जब कवि कविता लिखने बैठता है तो उसकी मन की भावनाएँ बहुत हद तक उसे लफ्ज़ों में पिरोकर क़ागज़ में उतारने को मजबूर कर देती हैं। कविताँ रची नहीं जाती बल्कि कविताएँ किसी दैवी शक्ति के रूप में आकर कवि के कलम के माध्यम से स्वयं प्रकट हो जाया करती हैं। यही बात मैंने परीक्षित जी की कविताओं को पढ़ते समय महसूस की है।
जब उनसे कविताओं के बारे में चर्चा चलीं तो इन्होंने स्वयं भी इस बात को कबूला है। अतः उनकी कविताएँ स्वतः स्फूर्त हैं और उनके विभिन्न समय महसूस किए हुए भावों की ही अभिव्यक्ति हैं।
परीक्षित जी के इस काव्य- संग्रह में संकलित कविताओं में विषयों की विविधता दृष्टिगोचर होती हैं। जीवन के सभी पहलुओं और समसामयिक घटनाओं पर परीक्षित जी ने अपनी लेखनी चलाई हैं। कुछ कविताएँ आपको विशुद्ध प्रेम पर मिलेंगी तो कुछ अत्याधुनिक सोशल मिडिया वाली प्रेम पर व्यंग्य करती हुई भी आपको दिखाई देगी। कोई कविता" माँ " पर लिखी गई हैं, तो कोई " गुरू" पर; कोई कविता उन्होंने अपने विद्यालय पर लिखी है,यथा--" मेरा नवोदय" तो कहीं "करोना काल " को विषय बनाकर भी कविताएँ रची गई हैं।
कहीं पर वे "करोना काल में राखी" में बहन के स्वास्थ्य के प्रति ध्यान रखते हुए इस बार उसे राखी में मायके आने से निषेध करते हुए दिखाई देते हैं तो कहीं प्यारी बिटिया को संबोधित करते हुए भी कविता लिखते हैं। किसी-किसी कविता में उनका गहरा जीवन- दर्शन झलकता है तो कहीं " ज्यामिति या इश्क" एवं " गणित और प्रेम" में उनका गणित विषय के प्रति प्रेम का भी सुंदर दर्शन मिल जाता है।
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि परीक्षित जी का पहला काव्य- संग्रह प्रकाशित होने जा रहा है जो सौ बेहतरीन कविताओं का एक संकलन है। परीक्षित जी की कविताओं को पढ़ते समय यही महसूस हुआ है कि उनमें एक श्रेष्ठ कवि बनने का समस्त गुण विद्यमान है। आशा करती हूँ इस पुस्तक के रूप में उनका यह पहला प्रयास सभी को बहुत पसंद आएगा।
एक समुज्जवल भविष्य के लिए आपको अनेक शुभकामनाएँ।
-- मौमिता बागची , लेखिका।
( प्रकाशित पुस्तकें: "कुछ अनकहे अल्फाज़ कुछ अधूरे ख्वाब" एवं "माँ की डायरी" )
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