एक लड़की को देखा तो-- भाग- 2

A girl whom I Met in the bus

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 11 Jul, 2020 | 1 min read
Romance

काॅलेज स्क्वेयर का स्टाॅप आते ही उसकी पास वाली सीट खाली हो गई और मैं लपक कर वहाँ बैठ गया। मेरे बैठते ही मानसी ने अपना चेहरा इधर घुमाया और खिसककर मेरे बैठने के लिए उसने जगह बना दी।


इसके बाद हम रोज़ यूँ ही बस में मिलते रहे। दोनों का काॅलेज एक ही जगह था और घर भी एक ही दिशा में अतः अकसर बस में हम मिल जाया करते थे। नहीं, आप लोग जैसा सोच रहे हैं वैसा कुछ भी नहीं हुआ। हम लोग कभी बोले नहीं एक- दूसरे से। मैं जिस जमाने की बात कर रहा हूँ, उस जमाने में लड़के - लड़की काफी शर्मीले होते थे।

इसके बाद काॅलेज में एक्जाम के दिन आ गए। और फिर हम मिल नहीं सके क्योंकि फिर काॅलेज आने- जाने का मेरा वक्त ही बदल गया था।

एग्जाम के कुछ दिनों के बाद मैं किसी वजह से काॅलेज गया था। उसदिन घर लौटते समय संयोग से बस में फिर मानसी मिल गई थी। मुझे उसे देखकर इतनी खुशी हुई कि क्या कहूँ। आज मुझसे रहा नहीं गया। मैंने सोचा कि चलकर देखा जाए कि वह कहाँ रहती है? फिर क्या था, मैं लगा उसका पीछा करने!! उसके काॅलोनी के गेट तक गया था बस! फिर आगे और जाने की हिम्मत न पड़ी। वहीं से लौट आया था, उसदिन।

परंतु घर आकर बेचैनियाँ बहुत बढ़ गई थी मेरी। रात को भी करवटें बदलता रहा। लगा कि अगर मानसी नहीं मिली तो मेरा जीना बेकार है।

अगले दिन इतवार था। मैं फिर मानसी के हाउसिंग काॅम्प्लेक्स तक गया और वहाँ जाकर गेट पर पूछताछ करने लगा। मानसी का हुलिया बताकर सबसे पूछने लगा कि वह लड़की कहाँ रहती हैं। परंतु कोई न बता पाया!

संयोग से एक अंटी वहाँ से जा रही थी। मैंने उन्हीं को बुलाकर अपना प्रश्न दोहराया। शायद मेरा परेशान चेहरा देखकर अंटी को दया आ गई थी। उन्होंने मुझसे इसका कारण पूछा। मैंने उनको अपना परिचय दिया और बताया कि मैं एक डाॅक्टर हूँ और एक लड़की को ढूँढ रहा हूँ।

डाॅक्टर सुनते ही अंटी बड़ी खुश हो गई और मेरी मदद करने को तैयार हो गई। उन्होंने मुझे बताया कि कुछ दिन पहले उनकी बड़ीवाली बेटी की शादी हुई थी। तब पूरे काॅम्प्लेक्स के लोगों को न्यौता दिया गया था। गेस्ट में से सबकी तस्वीरें भी ली गई थी। क्यों न एक काम करें? अंटी के घर चलकर उनका एलबम देखा जाए? शायद वह लड़की उसमें हो। तस्वीर देखकर शिनाख्त करने में आसानी होगी!


आइडिया अच्छी लगी। ऐसा ही किया। संयोग से लड़की अंटी जी के बिलकुल next door neighbour निकली। मैं तो उछल पड़ा। मेरी मानसी अब बिलकुल मेरे पास थी। मैं उससे मिलने को उतावला हो उठा।

पर अंटी ने मुझे रोक लिया। पूछा,

" बताओ, जरा मामला क्या है? मैंने तुम्हारी इतनी मदद की, अब मुझे पूरी बात बताओ?"

अंटी जी से मैं कुछ छिपा नहीं पाया। दिल का सारा हाल उनको बता दिया।


" तो अब, क्या करना चाहते हो?" सारी बात सुनने के बाद उन्होंने गंभीर स्वर में पूछा।


" शादी! अगर उसके पैरेन्ट्स राज़ी होते हैं, तो मैं मानसी से, मेरा मतलब--- शादी करना चाहता हूँ।" शर्म से पसीना- पसीना होते हुए मैंने अंटी जी से कहा।

" नहीं ऐसे नहीं। वे मेरे पड़ोसी है। एकबार पहले मैं उनसे बात कर लूँ। फिर तुम जाना। अपना फोन नंबर छोड़कर जाओ।"


मैं और क्या करता? अंटी जी की बात मानकर उसदिन घर चला आया था।

अगलेदिन मैं गया था, मानसी के घर। उसकी मम्मी ने nighty पहने- पहने मेरा स्वागत किया।

नहीं-- बात नहीं बन पाई थी उसदिन। मानसी की मम्मी उन लोगों के उच्च जात का होने के कारण मेरी योग्यताएँ इत्यादि को परे रखकर मेरे मुँह पर ही मुझे अपना दामाद बनाने से इंकार कर दिया था।


आज वर्षों बाद जब उस घटना को सोचता हूँ तो अपने आपसे सिर्फ एक ही प्रश्न करता हूँ कि क्या शादी के लिए जाति ही सबसे अहम होता है?कल को मेरी बिटिया अगर किसी को पसंद करके लाएगी, क्या उस लड़के को केवल दूसरी जाति का होने के कारण ही मैं इंकार कर पाऊँगा??

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Moumita Bagchi

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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • sanjita pandey · 4 years ago last edited 4 years ago

    Nice story 👌

  • Moumita Bagchi · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद संजीता🥰

  • Shah طالب अहमद · 4 years ago last edited 4 years ago

    Inspirational story mam... Loved it

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