Moumita Bagchi
17 Jul, 2020
इश्क
इश्क है गहरा समुंदर सा,
औ प्रेमी जैसे दो बूँद पानी।
डूबकर अथवा तैरकर जिनको
होता है ,इसमें समानी।।
हृदय में उठती है हिल्लौरे,
ज्यों उठती इसमें उर्मियाँ,
माशूका की आँखों से झरती वारिधारा
खारा पानी बनकर इसमें समायाँ।
Paperwiff
by moumitap3gmq
17 Jul, 2020
इश्क की विस्तार
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