Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 07 Nov, 2020
क्या कुछ भी न रहा
जब मिले थे वहाँ, तुमने कुछ भी नहीं कहा! अजनबी- से सिर झुकाकर चले गए, न कोई दुआ की, न सलाम! न कोई परिचय की कोई मुस्कराहट, खिल सकी थी वहाँ, तुम्हारे होठों की हँसी गायब थी, न जाने कहाँ? पराया कर दिया पल भर में यह अहसास दिलाकर कि अब कुछ भी न रहा!

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by moumitabagchi

07 Nov, 2020

कुछ भी न रहा

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