Moumita Bagchi
23 Jun, 2022
कल्पना
कला की रूह है कल्पना,
इसके बिना काव्य- सृजन
संभव होगी--न-- ना!
हर सृष्टि की जननी
होती है यही कल्पना,
विश्वभर में अतः कहलाती हैं ये
कला- प्रसविनी-- सृजनी है कल्पना!
Paperwiff
by moumitabagchi
23 Jun, 2022
कला-प्रसविनी कल्पना
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