Moumita Bagchi
22 Oct, 2020
तुम
जानते हो--
क्या हो तुम मेरे लिए?
एक अंधेरी,
लंबी----काली रात के बाद,
उजाले की उस पहली किरण से हो, तुम!
जानते हो-
एक बरगलाती भीड़ में,
सन्नाटे का अनछुआ सा एक कोना भी हो तुम,
जिसकी मुझे तलाश है--
मुद्दतों से!
Paperwiff
by moumitabagchi
22 Oct, 2020
तुम क्या हो?
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