हिन्दी भाषा का इतिहास भाग - 5
हिन्दी की बोलियाँ भाग-3
10)भोजपुरी-- भोजपुरी को 'पूरबी" भी कहते हैं। राजा भोज के वंशजों ने मल्ल जनपद में नए राज्य की स्थापना की जिसकी राजधानी भोजपुर बनाई। भोजपुर की बोली " भोजपुरी" कहलाई। भोजपुरी का क्षेत्र काफी विस्तृत है उत्तर प्रदेश में बनारस, गाजीपुर, बलिया, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़ में पूर्णरूप से तथा मिर्ज़ापुर में जौनपुर, बस्ती में आंशिक रूप से भोजपुरी बोली जाती है। बिहार के शाहबाद, छपरा, में पूर्णरूप से तथा झारखंड के चम्पारन, राँची, पलामू के कुछ भागों में भोजपुरी प्रचलित है।
भोजपुरी के प्रसिद्ध लोककवि भिखारी ठाकुर का ' विदेसिया' बहुत लोकप्रिय है। भोजपुरी के लिए पहले कैथी लिपि किन्तु अब नागरी लिपि का प्रयोग होता है। फिल्मों में भोजपुरी के प्रयोग से यह बोली बहुत लोकप्रिय हो गयी है।
11) मगही - मगही मगध प्रांत की बोली है। पटना इसका केन्द्र है। साथ ही, गया, हजारीबाग का संपूर्ण क्षेत्र तथा पलामू, मुंगेर और भागलपुर में भी मगही बोली जाती है। मगही और भोजपुरी में काफी समानता हो। इसके लिए कैथी और नागरी लिपि का प्रयोग होता है।
12)मैथिली - प्राचीन मिथिला प्रदेश की बोली मैथिली है। यह दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मुंगेर और उत्तरी भागलपुर में बोली जाती हो। मिश्रित रूप से मैथिली नेपाल की तराई, चम्पारन और संथाल परगना क्षेत्र में बोली जाती है। मैथिली को ' तिरहुतिया' भी कहते हैं। विद्यापति ने इसे ' देसिल बयाना' कहा है। साहित्यिक दृष्टि से मैथिली काफी सम्पन्न है। मैथिली तीन लिपियों में लिखी जाती है-- मैथिली लिपि ( बंगला लिपि के समान), कैंथी लिपि और नागरी लिपि।
13)मारवाड़ी - यह प्राचीन मारवाड़ प्रांत की बोली है। राजस्थान की प्रमुख बोली होने के कारण इसे राजस्थानी भी कहते हैं। जोधपुर और उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में मारवाड़ी बोली जाती है।
14)मालवी- यह मालव प्रदेश( वर्तमान उज्जैन) की बोली है। शुद्ध रूप से मालवी उज्जैन, इंदौर और देवास में प्रचलित है। मिश्रित रूप से यह रतलाम, भोपाल, गुना, होशंगावाद, ग्वालियर, चित्तौरगढ़ और झालावाड़ क्षेत्र में बोली जाती है। मालवी पर बुंदेली और मारवाड़ी का काफी प्रभाव है।
15)जयपुरी- यह जयपुर( राजस्थान) के आसपास बोली जाती है। स्थानीय लोग इसे "ढूंढानी" या " जयपुरिया" भी कहते हैं।
16)कुमाऊँनी- वर्तमान उत्तरांचल राज्य के कुमाऊँ मण्डल की बोली है, जिसमें नैनीताल, पिथौड़ागढ़, अल्मोढ़ा, चम्पावथ जिले के क्षेत्र आते हैं। जार्ज ग्रियर्सन ने कुमाऊँनीकी बारह उपबोलिया बताई हैं। इस पर राजस्थानक का विशेष प्रभाव है।
17 )गढ़वाली- उत्तरांचल राज्य के गढ़वाल क्षेत्र की प्रमुख बोली गढ़वाली है। टिहरी, चमौली, उत्तरकाशी में विशुद्ध गढ़वाली बोली जाती है। ' श्रीनगरिया' गढ़वाली का विशुद्ध रूप है, जो मुख्यतः श्रीनगर ( उत्तराखंड ) में बोली जाती हैं।
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