उस दिन नैना जैसे ही ऑफिस पहुँची थी, एक अनजान नम्बर से उसे काॅल आया । पहली बार तो उसने काॅल रीसीव नहीं किया। परंतु चौथी बार काॅल आने पर उसने सोचा कि ॠषि के स्कूल से काॅल होगा, तो उसने उठा लिया।
हाँ, ऋषि से संबंधित ही काॅल था, परंतु कुछ ऐसा समाचार था, जैसा कि कोई माँ अपने बच्चें के लिए कल्पना भी नहीं करना चाहेगी! नैना के तो होश उड़ गए थे!
फोन के उस पार कोई शख्स था, जिसने उसे यह खबर दी कि उसके ऋषि का किडनैप हो गया है। स्कूल जाते समय रास्ते में एक काली गाड़ी मे कुछ मास्क पहने लोगों ने उसे अगुआ कर लिया है। अब वे ही लोग फोन करके फिरौती मांग रहे थे।
नैना सर पकड़कर बैठ गई। इतने पैसे कहाँ से लाएगी? एक सिंगल मदर है, वह।
थोड़े देर के लिए तो उसे लगा जैसे कोई उसके साथ कोई घिनौना मजाक कर रहा है। क्योंकि रोज सवेरे की तरह वह उसदिन भी खुद उसे स्कूल छोड़कर आई थी। तुरंत क्लास टीचर को फोन किया, तो पता चला कि ऋषि आज स्कूल नहीं आया!
आनन फानन में वह अपने दो सहकर्मियों को साथ लेकर स्कूल पहुँची। वहाँ आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर पता लगा कि सुबह एक काले मारुति भैन में कुछलोग आए थे, और एक बच्चे को लेकर चले गए। उनको लगा था कि बच्चा उन्हीं में से किसी का होगा।
नैना की चीख पुकार से बहुत से लोग इकट्ठे हो गए थे। पुलिस कम्प्लेन करा दी गई थी। स्कूल वाले भी मदद करना चाह रहे थे। इतनी बड़ी स्कूल थी। सिक्यूरिटी लैप्स के कारण उनकी भी खिंचाई हो सकती है, यह सोचकर वे भी आ गए थे।
पुलिस और पत्रकार अपने सवाल जिरह किए जा रहे थे। इधर
नैना को याद आया कि ऑफिस के लिए लेट होने की वजह से उसने ऋषभ को उसदिन स्कूल के नजदीक ही चौराहे पर छोड़ दिया था, गेट तक छोड़ने न गई थी। वह अपने आपको कोस रही थी। अपनी लापरवाही के कारण खुद को धीक्कार दे रही थी। उसका ऋषभ महज छह साल का ही तो था। अभी छः महीने पहले उसने पहली कक्षा में ज्वाइन किया था।
दिल्ली शहर में ऐसे अपराध तो अकसर होते रहते हैं। बच्चों के साथ यूँ अपराध और भी अधिक होते हैं। हम अभिभावकों को इसलिए बहुत सतर्क रहना जरूरी है।
जानते हैं, नैना की गलती क्या थी? उसे आपके और हमारी तरह विडियो बनाने का बड़ा शौक था। बेटे का स्कूल का पहला दिन, बेटा तैयार होकर स्कूल जा रहा है, मैं बेटे को स्कूल ड्राॅप कर रही हूँ-- ऐसे अनगिनत विडियो वह बनाती थी और सोशल मिडिया पर डाल देती थी।
सिंगल माँ थी, दोस्तों की वाह वाही पाकर फूली न समाती थी। परंतु वह इस बात से जाने अनजाने विस्मृत हो गई थी कि ऐसा करके अपने बच्चे के लिए आफत ही पैदा कर रही थी।
आजकल लाॅकडाउन में ऐसे अनगिनत विडियो हम बना रहे हैं। आए दिन हम अपने बच्चों द्वारा कुछ ड्राइंग या क्राफ्ट के विडियो बनाकर हम सोशल मिडिया में पोस्ट करते रहते हैं।
मतलब, विडियो बनाना कोई खराब काम नहीं है। बल्कि ऐसे सृजनात्मक कार्य तो करने ही चाहिए। परंतु क्या वह सब दुनिया को दिखाना बहुत जरूरी है?
हमारी प्राइवेसी हम लोगों के लिए बहुत जरूरी हैं। विडियो के माध्यम से हम अपनी प्राइवेसी को कुछ हद तक दाॅव पर लगा देते हैं। कुछ दिन पहले भी फेसबुक द्वारा डेटा लीक होने की खबरें भी आई थीं। ज़ूम एप्प वाली घटना भी हाल ही में सुनने को मिली थी। इसलिए ,जरा गौर फरमाइगा इस बात पर!
अगर फिर भी विडियो बनाना है, तो अपना बनाइए। अपने पति का बनाइए, घर के बड़ों का बनाइए। बच्चों को कृपया बख्श दीजिए।
बच्चे फेमस कुछ दिनों के बाद हो तो भी चलेगा। पहले उन्हें एक सुरक्षित बचपन तो उपहार दीजिए।
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