क्वेरेन्टाइन का दूसरा दिन

रिश्तों का ताना- बाना बुनती कहानी, डायरी -शैली में।

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 01 Apr, 2020 | 1 min read

01/04/20
डियर डायरी,

मैं श्रेया,उम्र पैंतीस वर्ष। एक नामी प्राइवेट कंपनी में एच॰आर॰ मैनेजर हूँ। फिलहाल कोरोना वायरस के 21 दिन के क्वेरेन्टाइन पर हूँ। अतः आजकल घर से काम कर रही हूँ। यह सही है कि आजकल अपनी बेटी टिया के साथ पूरा समय बिता पा रही हूँ। वैसे तो रोज उसे मालती के पास छोड़कर जाना पड़ता था।

परंतु वर्क फ्राॅम होम तो मेरे लिए आफत बन गई है। इससे तो अच्छा था ऑफिस में बैठकर काम करना। यहाँ तो घर के सारे काम भी करने पड़ रहे हैं, ऑफिस के आठ घंटे का काम वह अलग।

मालती को भी तो छुट्टी देना पड़ा। कैसे आती वह बेचारी? उसके भी छोटे-छोटे बच्चें हैं। फिर काॅलोनी के दूसरे घरों में भी तो वह काम करती हैं। कहीं वह इस इंफेक्शन की कैरियर हुई तो?


टिया उसके साथ कितना घुल- मिलकर रहती हैं। कहीं उसे भी लग गया तो?

परंतु, घर के काम, हाय! खतम होने के नाम ही न लेते। बड़ा चार  कमरों वाला फ्लैट खरीदकर कितनी गलती की हमने। क्या पता था कि कभी इस पूरे घर का  झाड़ू- पोछा मुझे ही करना पड़ेगा? तरुण को तो घर के कामों में हाथ बँटाने से उनके शान पर बट्टा लगता है। ऊपर से माँजी भी यहीं है। उनकी गैरहाजिरी में तरुण से चाहे एकाध काम करवा भी लो, परंतु उनकी नजरों के सामने-- " तौबा! तौबा!" हर वक्त उनकी गिद्ध दृष्टि मेरे ऊपर पड़ी  रहती है।

माँ- बाबूजी को मैंने ही गाँव से लिवा लाने के लिए तरुण को कहा था। मालती एक महीने के लिए छुट्टी पर जाने वाली थी। टिया को किसके हवाले छोड़कर ऑफिस जाती? परंतु अब तो मेरी शामत सी आ गई है। ऑफिस के काम करों, घर संभालों, या उनकी इच्छाएँ पूरी करो। थोड़ी देर टिया के साथ बैठी कि नहीं, हर घड़ी कुछ न कुछ खाने की फरमाइश होने लगती है। " बहू यह बनाना। बहुत दिन हुए वो नहीं खाया।"

ससुर जी तो कुछ नहीं कहतें। चुपचाप खा लेते हैं। परंतु मम्मी जी हर बार ही मेरी कोई डिश खाकर कहती हैं ," पिछली बार जब मैंने फलाॅ बनाया था, तो कितना स्वादिष्ट बना था। सबलोग ऊंगलियाँ चाट रहे थे। तरुण तो अकेले ही तीन-चौथाई हिस्सा खा गया था। तेरे वाले में वह टेस्ट नहीं आया।"

पता नहीं, हर बात पर वह मेरे साथ बराबरी क्यों करना चाहती हैं। और अपने आपको यूँ जबर्दस्ती श्रेष्ठ प्रमाणित करके उन्हें क्या मिलता है?

आखिर, मैं उनसे ज्यादा पढ़ी -लिखी हूँ। ऑफिस में एक पोजिशन है मेरी। कहीं वे मेरे बराबर हो सकती हैं?
डायरी तुम ही बताओ।


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