क्वेरेन्टाइन का आठवां दिन

क्वेरेन्टाइन के समय एक लेडी डाॅ की समस्या

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 07 Apr, 2020 | 1 min read

डियर डायरी,

मैं डाॅ रेवथी। तमिलनाडू का मूल निवासी हूँ परंतु नौकरी के कारण आजकल दिल्ली में रहती हूँ। उम्र 35 वर्ष।

पेशे से एक पैथोलाॅजिस्ट हूँ। हम नील गगन एपार्टमेंट में टिया के ही बिल्डिंग में रहते हैं। मेरी बेटी रायमा टिया की सहेली है। वह आठ वर्ष की है। दोनों घर में और पार्क में साथ -साथ खूब खेलते हैं।

हम दोनों पति- पत्नी डाॅक्टर हैं और पास के फोर्टिस अस्पताल में काम करते हैं। जबकि मेरे पति, डाॅ रमेश, एक हृद-रोग विशेषज्ञ है, मेरा काम पैथोलाॅजी विभाग के लैब में है।

आजकल कोविद19 के चलते हम डाॅक्टरों की व्यस्तता बहुत अधिक हो गई है। पेशेन्टों का तो जैसे सैलाव सा आ गया है। कोरोना को लेकर लोगों में दहशत सी हो गई है, जिसके कारण वे जरा सा सर्दी -बुखार , होने पर कोविद19 का टेस्ट कराने चले आते हैं।

अब इतने सारे पेशेन्टों को संभालना थोड़े से स्टाॅफों के साथ बहुत मुश्किल है।

अस्पताल में इस क्राइसिस को निपटने हेतु अनेक अंशकालिक स्टाॅफों की नियुक्ति हुई हैं और सारे डाॅक्टर अपना घर-बार भूलकर ओवर टाइम पे ओवर टाइम किए जा रहे हैं।

अभी कल ही बात लो, कल चार पाॅजिटिव केस मिले हैं जिसके चलते मुझे बैक टू बैक नाइट-डे- नाइट तीन शिफ्ट करने पड़े हैं! अब पाँच बजे शाम को जरा घर आ पाई हूँ।

मैनेजमेंट का आदेश हैं, हम और कर भी क्या सकते थे?

पतिदेव तो एक हफ्ते से घर नहीं आ पाए हैं। अब जन सेवा तो हमारा काम है। इसके लिए हम पूरी तरह तैयार है। काॅलेज में जो हिपोक्रिटिक ओथ लिया था उसका पालन करना हमें बखूबी आता है।

परंतु यहाँ समस्या दूसरी है। मेरी जो फूल टाइम मेड है, किर्थी,  वह 19 फरवरी को एक महीने के लिए अपने गाँव गई थी। और फिर वहीं फँस गई। लाॅकडाउन के चलते लौटकर न आ पाई।

बिल्डिंग के सुरक्षा कर्मचारी ने एक अंशकालिक मेड का इंतजाम कर दिया था। तब से उसी से काम चल रहा था। वह मेड अच्छी भी थी और रायमा का खूब खयाल भी रखती थी।

परंतु लाॅकडाउन के वजह से अब वह भी नहीं आ पा रही है!
अब रायमा को कौन संभाले?उसे साथ में अस्पताल भी तो नहीं ले जा पाती हूँ।

सारे क्रेश भी बंद हो गए हैं।

एक दो दिन तो उसे टिया के घर पर छोड़ दिया था। परंतु रोज-रोज यह भी तो अच्छा नहीं लगता?फिर घर से बाहर निकलने की भी मनाही है।

मैं अस्पताल में काम करती हूँ। इस वजह से टिया की दादी को जरा मुझसे इंफेक्शन फैलना का डर हैं। वे मुँह से कुछ कहती तो नहीं, परंतु उसदिन रायमा को उनके घर से पिक अप करते समय उनकी आँखों में मैने यह डर देखा था!

अब ,उनका डर भी तो जायज़ है।

बोलो मेरी डायरी, ऐसी हालत मैं क्या करूँ?


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