पृथ्वी की हैं बस यही पुकार
पेड़ लगाओ सब लगातार।
बिन पेड़ बनी वीरानी धरती
सुख रही बिन पानी धरती
हमारे विकास की अंधी दौड़ में
अपना सब कुछ खोती धरती
हमारे पापों के बीजों को
अपने अंदर बोती धरती।
इंसान की साज़िश व माया
प्रकृति पर संकट है आया
खुद को कर विकसित हमने
धरती को हैं खूब सताया
बहते धरती के आँसुओ ने
हमें यह एहसास हैं दिलवाया।
आओ !लेकर प्रण, पेड़ लगाएं
धरती को प्रदूषण रहित बनाएं
स्वच्छ वायु से बेहतर जीवन पाएं
पक्षियों को भी घर दिलवाएं
करके धरती माँ को प्रसन्न
अपना पर्यावरण सुरक्षित बनाएं।।
मौलिक व अप्रकाशित
धन्यवाद
मोना कपूर
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Waah
धन्यवाद
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