"देखो! ऋतु और रोहन तुम दोनों की जाँच की सारी रिपोर्ट आ चुकी हैं और मुझे बेहद दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि ऋतु तुम कभी माँ नहीं बन सकती"।
डॉक्टर की सारी बातें सुन ऋतु की आँखों से आँसू टपक पड़े और रोहन कुछ समय के लिए मौन बैठा रहा| मानों यूँ लगा जैसे कि जीवन के कड़वे सच को बर्दाश्त करने की हिम्मत जुटा रहा हो व कुछ देर बाद उठ कर बाहर निकल गया।
"प्लीज डॉक्टर आप ऐसा मत कहिए, अगर आप यह कहेंगे तो हमारा क्या होगा? समय बदल गया है कोई ना कोई ऐसा इलाज जरूर होगा, जिसे करवाने के बाद मैं माँ बनने का सुख ले सकूँ।” अपनी रूआसी सी आवाज़ में दिल को पक्का करती हुई ऋतु बोली।
समझो ऋतु, मैं मानती हूँ कि साइंस एडवांस हो गयी है लेकिन तुम्हारे केस में मैं कुछ नहीं कर सकती| इसीलिए मैंने पहले ही तुम दोनों के टेस्ट एक साथ करवाये ताकि शुरुआत में ही पता लग जाए कि कोई कमी है भी या नहीं और अगर है भी तो किसमें है। और देखो रिपोर्ट्स मैं सब कुछ क्लियर है कि तुम कभी माँ नहीं बन सकती। यह सारी बातें सुनकर ऋतु टूट चुकी थी व अंदर आकर रोहन उसे संभालता हुआ बाहर ले आया और गाड़ी में बिठाकर घर की ओर निकल पड़ा।
वैसे तो ऋतु और रोहन की अरेंज मैरिज थी व शादी के बाद प्यार और आपसी तालमेल ने उनके इस रिश्ते को और भी खूबसूरत और मजबूत बनाया था, शादी के बाद पढ़ाई हो या कैरियर हर जगह रोहन ने ऋतु का साथ दिया था लेकिन आज अपनी खुद की कमी के कारण वह बहुत असहाय महसूस कर रही थी और शादी के 3 साल बाद ऋतु को सब कुछ पीछे छूटता हुआ नजर आ रहा था। रोहन की चुप्पी उसके मन में ढेरों उलझनें पैदा कर रही थी क्योंकि उसे घर वालों के सवाल जवाब से ज्यादा रोहन की चिंता थी। इसी उधेड़बुन में कब घर का रास्ता तय हो गया ऋतु को पता ही नहीं चला।
धीमे कदमों के साथ डरी हुई जैसे ही घर के अंदर गयी तो सामने बैठी मम्मी जी के पास जाकर रिपोर्ट्स के बारे में बताने बैठी ही थी कि उसके कुछ बोलने से पहले ही मम्मी जी बोल पड़ी, “मैं समझ सकती हूँ मेरी बच्ची कि रिपोर्ट्स का पता लगने के बाद तुझे कैसा महसूस हो रहा होगा, तू चिंता न कर हम किसी और डॉक्टर को दिखाएंगे| रोहन अपना इलाज करवाएगा फिर भगवान की कृपा से तेरी गोद भी भर जाएगी| बस तू अगर रोहन के साथ है तो सब सही हो जाएगा।”
मम्मी जी की बातें सुनकर ऋतु अचंभित सी रह गयी, कमरे में रोहन से बात करने आई तो रोहन ने उसे गले लगा लिया और बोला- ”मानता हूँ कि मैंने माँ से झूठ बोला क्योंकि मेरी माँ मेरी कमी तो बर्दाश्त कर सकती है, लेकिन तुम्हारी नहीं। इस दिक्कत के चलते मैं अपने रिश्ते में तनाव नहीं चाहता था, तभी क्लीनिक पर ही माँ को सब बता दिया। मानता हूँ कमी तुममें है लेकिन यह इतनी बड़ी बात भी नहीं कि हमारे रिश्ते में दरार पैदा कर दे और वैसे भी अगर सच में ऐसा कुछ मेरे साथ हुआ होता तो क्या तुम भी मुझे छोड़ देती? नहीं ना, तो फिर तुमने यह कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हें दोषी ठहराऊँगा। मैं तुम्हें अपनी दुल्हन बना कर इस घर में लाया था, तुम्हारा मेरे जीवन में होना ही मेरा सबसे बड़ा उपहार है।"
यह सारी बातें सुनकर आज ऋतु, रोहन को अपने पति के रूप में पाकर अपने इस पवित्र रिश्ते को और मजबूती, प्यार व सम्मान के साथ सींचा हुआ महसूस कर रही थी।
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