तेरी मेरी कहानी हैं बारिशों का पानी

कहानी मेरे प्यार की

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Mona kapoor
Mona kapoor 14 Feb, 2020 | 1 min read

प्यार! सिर्फ एक शब्द नही बल्कि एक खूबसूरत सा एहसास है ये प्यार। और जब जीवन में सच्चा प्यार मिल जाए तो ज़िंदगी सिर्फ खूबसूरत ही नही साथ ही साथ खुशनुमा भी बन जाती है। कुछ इसी तरह प्यार ने गुलाबी दस्तक दी थी मेरे जीवन में आज से पंद्रह साल पहले, जिसनें मेरे जीवन को महका दिया व मुझे भी मिलवा दिया मेरे वैलेंटाइन से जोकि मेरे पति तो है ही साथ ही साथ मेरे अच्छे दोस्त भी है।


शुरू से ही अपनी पढ़ाई पूरी कर डिग्री हासिल करने में उलझी हुई सी मैं एक ऐसी लड़की थी जिसके लिए प्यार-व्यार कुछ ज्यादा मायने नहीं रखता था। व कभी मुझे प्यार होगा वह भी एक ऐसे इंसान से जो मेरे ही घर के बिल्कुल सामने वाली गली में रहता था, यह तो सोचा ही नही था। याद है मुझे वो दिन जब मैं बी एड की परीक्षा का एंट्रेंस एग्जाम देकर घर लौटी थी। कुछ देर माँ पापा के साथ समय बिताकर खुद को रिफ़्रेश करने के लिए मैं घर की बालकनी में जाकर खड़ी हुई ही थी कि अचानक से मेरी नज़र सामने की गली से बाइक पर आते हुए लड़के पर पड़ी जो बार बार हॉर्न पर हॉर्न बजाए जा रहा था। यह देख मुझे गुस्सा आ रहा था। अरे! जब दाएं बाएं कोई है ही नहीं तो बार बार हॉर्न क्यों बजाना! मैं गुस्से में इस बात से अंजान की उसकी बाइक मेरे ही घर के आगे आकर रुक गयी थी और वह मुझे ही देख रहा है, ज़ोर से बड़बड़ाई "लगता है पागल है।" मुझे काफ़ी असहज महसूस हुआ। व मैं तुरंत अंदर चली गई थी। 


बस यही से शुरुआत हुई थी हमारी लव स्टोरी की। कुछ दिनों बाद एक बार फिर हमारा मार्किट में आमना-सामना हुआ।इस बार जहां मुझे मेरी बोली हुई बात पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी तो वही दूसरी ओर वह मुझे टकटकी लगाए देखे जा रहे थे। एक समय के लिए मुझे लगा कि मानों कुछ तो गड़बड़ है,कही मैं नमूना तो नही लग रही। मुझे ऐसा करता देख उन्होंने मुझे हल्की सी मुस्कान दी व चल दिये। और मैं सोचती ही रह गई कि यह सब क्या था! शायद उस दिन का बदला ले रहे थे। धीरे-धीरे दिन निकलते गए अब अक्सर हम दोनों एक दूजे के सामने आ ही जाते। कुछ तो था, क्योंकि इतने सालों तक एक ही मौहल्ले में रहने के बावजूद भी पहले कभी हमने एक दूसरे को नहीं देखा था फिर एक दिन अचानक से हमारा मिलना, यह सब शायद ऊपर वाले कि ही रज़ा थी तभी उसने हमारा मिलना ऐसे तय किया था।


अब दीदार तो बहुत हो गया था, यह भी पता चल गया था कि मैं उन्हें व वो मुझे पसंद करने लगे हैं। लेकिन बातचीत कैसे की जाए! यह समस्या थी क्योंकि एक दूसरे का मोबाइल नंबर होना जरूरी था तभी तो बात आगे बढ़ती। मैं इतना तो जानती थी कि मुझे ही कुछ करना होगा क्योंकि वो डरपोक किस्म के बंदे थे व उनके रोज़ बाइक पर निकलते समय मेरे बालकनी पर खड़े होने से कुछ होगा भी नहीं इसीलिए जब मुझे पता चला कि वह होम ट्यूशन लेते हैं मैंने अपनी एक सहेली को उनके घर भेजकर ट्यूशन पढ़वाने के बहाने उनका नम्बर मंगवाया व मौका मिलते ही उन्हें कॉल किया। धीरे धीरे हमारी बातें होने लगी व हमें एहसास हुआ कि हमें प्यार हो गया है व हम दोनों ने एक ही साथ अपने प्यार का इज़हार करके अपना पूरा जीवन एक दूसरे के साथ बिताने का फैसला लिया।


शादी करने का फैसला लेकर हमनें समय रहते ही अपने घरवालों को अपने रिश्ते के बारे मे बता दिया था, ऐसा नहीं था हमारे मेरे माता पिता ने जल्दी से इस रिश्ते को स्वीकार किया लेकिन हाँ! उन्होंने मना भी नहीं किया था, जोकि हमारे लिए काफी था,क्योंकि हम उनके आशीर्वाद से पूरे समाज के सामने अपने रिश्ते को नाम देना चाहते थे।धीरे धीरे समय आगे बढ़ता गया, तीन साल हो चुके थे हमें मिले हुए। इस बीच मैंने अपनी पढ़ाई भी पूरी की व हम दोनों ने एक दूसरे को समझा भी व ज्यादा तो नहीं लेकिन कुछ मुलाकातें भी की।


घरवालों की रजामंदी से हमारे मिलने के तीन साल बाद हम विवाह के गठबंधन में बंध गए व बन गए हमेशा के लिए एक दूजे के वैलेंटाइन। आज हमारी शादी को बारह साल हो चुके हैं ,मानों आज भी सब कुछ वैसा ही है जैसा पहले था। सब प्यार में तरोताज़ा सा। आज भी कई बार मुझे पुनीत कहते हैं "कि अगर मैंने फ़ोन नंबर लेने की हिम्मत न दिखाई होती तो शायद हम कभी नहीं मिले होते।" वो अलग बात है कि सर्विस में दी हुई बाइक को पूरा चेक करते समय,खासकर की हॉर्न को, हमारी नजरें मिली तो मैं तो पूरा क्रेडिट बाइक को देती हूं क्योंकि मानती हूं कि शायद यह जोड़ी रब ने बनाई होगी।


ज़िन्दगी में कुछ उतार चढ़ाव भी आए, कभी प्यार तो कभी कभी लड़ाई भी हुई लेकिन इन सबमें हमारा रिश्ता कभी नहीं डगमगाया। दो प्यारी सी बेटियों ने हमारे जीवन में आकर हमारे रिश्ते की डोर को और मजबूत कर दिया। कई बार हमारे बीच हुई नोंकझोंक देख कर मेरी बड़ी बिटियां हम दोनों को टॉम एंड जैरी कहकर संबोधित करती हैं जोकि इस सिद्धांत पर चलते हैं कि "तेरी मेरी बनती नहीं, तेरे बिना चलती नहीं।" सच में ऐसा ही है चाहे जितना मर्ज़ी लड़ ले लेकिन हर कदम में साथ है हम। तो यह थी मेरी मेरे वैलेंटाइन व अपने सबसे अच्छे दोस्त से मिलने की छोटी सी लव स्टोरी जिसमें की प्यार व विश्वास पर टिकी हमारी कहानी बारिशों के पानी की तरह है जो हमारे जीवन में इश्क़ के रूप में बनकर बरसती हुई उसे सैदव तरोताज़ा रख रही हैं।


#valentinespecial

धन्यवाद

मोना कपूर




  

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Mona kapoor

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