क्रिसमस की पार्टी में सांता क्लॉज़ बनने के लिए तैयार हो रहे श्याम की सात साल की बिटियां उसे टकटकी लगाए देखे जा रही थी।
"बाबा! सांता क्लॉज़ क्या करता है? मैंने सुना है कि वह सबके लिए तोहफ़े लाता है, क्या यह सच है?"
"हाँ ,बिटियां रानी। तुमने सही सुना है। उसके पास एक लाल रंग का झोला होता है,जिसमें खूब सारे तोहफ़े होते हैं। इन तोहफ़ों को वह सभी में बांटकर उन्हें खुशियां देता है।"
" सांता मुझे तोहफ़े देने क्यों नहीं आता बाबा! लगता है,उसे हमारे घर का रास्ता नहीं पता। बाबा, सुनो ना! अगर तुम्हें रास्ते में कही सांता मिले तो उसे कहना भवंरी उसे याद कर रही है, उसे भी तोहफ़ा चाहिए। हो सके तो उसे अपने साथ ही ले आना ना बाबा।"
"अच्छा, मेरी बच्ची।" कहते हुए श्याम निकल पड़ा लेकिन उसकी आँखें नम सी थी। कैसी किस्मत थी उसकी बच्ची की, जिसे उसका बाबा कोई सुख न दे पाता था। ग़रीबी के बोझ तले दबा होने के कारण उसकी कोई इच्छा पूरी न कर पाता था। जो थोड़ा बहुत इधर-उधर हाथ पैर मारकर कमाता उससे बड़ी ही मुश्किल से गुजारा हो पाता।
पार्टी में जाकर श्याम सभी बच्चों को सांता क्लॉज़ बनकर तोहफ़े व खुशियां तो बांट रहा था, लेकिन उसके मन में बस यही उथल-पुथल सी मची हुई थी कि "वह सांता बनकर औरों के लिए तो खुशियां ला रहा है लेकिन अफ़सोस अपनी बेटी को घर वापिस लौटकर सांता का उसके लिए तोहफ़ा ना लाने का क्या जवाब देगा!" पार्टी अच्छे से निपट चुकी थी, बच्चों से लेकर बड़ों तक सबके चेहरे पर खुशियां थी। धीरे-धीरे पार्टी हॉल खाली होने लगा था। सफाई कर्मचारी हॉल को साफ करने के बाद सारा कूड़ा बाहर रखे कूड़ेदान में फैंक रहे थे। श्याम भी जल्दी से अपने पैसे लेकर बाहर निकल गया व एक कोने में रखे कूड़ेदान को आँखों में उम्मीद लिए छांटने लगा कि शायद कूड़ेदान में उसे कोई टॉफ़ी या चॉकलेट मिल जाए जिसे लेकर वह अपनी भवंरी को दे सके ताकि उसे भी खुशियां मिल सके।
श्याम की यह इच्छा भी पूरी न हो सकी थी। वह निराश व हताश होकर खड़ा हो गया था लेकिन कुछ दूरी पर अपने माता-पिता के साथ खड़े कुछ बच्चे जोकि पार्टी का भी हिस्सा थे वह यह सब देख रहे थे। जैसे ही श्याम की नज़र उसे देखते हुए उन बच्चों पर पड़ी वह सचेत हो गया व घर की ओर निकल पड़ा कि तभी पीछे से एक आवाज़ आई।
"सांता क्लॉज़! रुको,सांता क्लॉज़!"
"बोलो बच्चों! क्या हुआ?"
"यह कुछ गिफ्ट्स, हमारी तरफ से आपके लिए"।
"अरे बच्चों! ये क्यों?" चॉकलेट व गिफ्ट् के डिब्बे देखते हुए श्याम ने पूछा।
"ले लीजिये, आप बच्चों के लिए गिफ्ट्स लेकर आते हैं इसीलिए हमेशा से उनके पसंदीदा रहे हैं और ये बच्चे हैं, जब इन्हें कोई पसन्द आ जाता हैं ना, उन्हें खुशियां देने में ये भी पीछे नहीं हटते"। यह बात श्याम के मन को दिलासा दे गई व वह चाहकर भी मना नही कर सका। बच्चों के छोटे-छोटे हाथों से यह तोहफ़े लेकर श्याम की आँखों में आंसू थे। वह बच्चों को आशीर्वाद देकर अगले साल फिर आने का वादा कर जल्दी से घर की ओर निकल पड़ा।
आज खुद सांता क्लॉज़ बने श्याम को मानों उसका असली तोहफ़ा मिला हो।वह यह सोच बेहद खुश था कि असली सांता क्लॉज़ इन बच्चों के रूप में आकर उसकी बेटी भवंरी के लिए प्यार व तोहफ़े देकर गया है ताकि वह भी अन्य बच्चों की तरह खुशियां मना सके।
-मोना कपूर
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