आधे आधे पूरे हैं हम

पति पत्नी के प्यार की कहानी

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Mona kapoor
Mona kapoor 19 Jan, 2020 | 1 min read

"अरे! ये क्या कर रहे हो पुनीत बेटा, तुम क्यों सुबह- सुबह रसोई में चाय बना रहे हो। सौम्या बहू कहाँ हैं?" पिछली रात अपने बहू बेटे के पास आयी मिसेस वर्मा ने रोबदार आवाज़ में पूछा।

"माँ, सौम्या ऑफिस के लिए तैयार हो रही है उसकी कैब जल्दी जो आजाती है तो सुबह का चाय नाश्ते की तैयारी अक्सर मै ही कर देता हूँ।"

"पुनीत बेटा! अब तुम्हारी शादी हो गई है, अब यह सब काम तुम्हारा नहीं बल्कि सौम्या का है। पहले बात कुछ और थी कि तुम्हारी ट्रांसफर के बाद घर से दूर दूसरे शहर में तुम्हें अकेले मज़बूरन यह सारे काम खुद से देखने पड़ते थे लेकिन अब शादी के बाद भी तुम यह सारे काम करोगे तो मुझे गवारा नहीं। रूक मैं अभी सौम्या से बात करती हूं, कि अब शादी के बाद सबसे ज्यादा जरूरी व महत्वपूर्ण है अपनी गृहस्थी पर ध्यान देना।"

"लेकिन माँ! सौम्या भी तो नौकरी करती है। वो भी एक अच्छी प्रतिष्ठित पद पर। यह बात हम सब शादी के पहले से ही जानते थे कि वह शादी के बाद भी नौकरी करेंगी जब तब हमें ख़ासकर की तुम्हें कोई आपत्ति नहीं थी तो आज सिर्फ तुम्हारे बेटे द्वारा रसोई में एक कप चाय बना देने पर उसपर व उसकी नौकरी करने पर आपत्ति क्यों! क्या फ़र्क पड़ता है माँ अगर मैं सौम्या के लिए कुछ ऐसा कर देता हूं जिससे उसका पूरा दिन अच्छा निकलता है।"

"फर्क पड़ता है, बिल्कुल पड़ता है। गुस्से में तिलमिलाए हुए माँ बोली। अब सौम्या तुम्हारी बीवी है और लड़कियों के जीवन में शादी के बाद बहुत बदलाव आ जाते हैं जिन्हें उन्हें जल्दी ही स्वीकार कर लेने चाहिए ताकि आगे चलकर कोई दिक्कत न हो। सौम्या को अगर नौकरी करनी है तो करें लेकिन अपने हर फर्ज़ को बखूबी निभाते हुए।"

"माँ! मेरी प्यारी सी माँ, तुम शांत हो जाओ। पुनीत ने अपनी माँ को प्यार से अपने गले लगाया व उन्हें शांत कराते हुए बोला कि सौम्या मेरी अर्धांगिनी है। जिस दिन उसका हाथ थामा था ना उसी दिन मुझे जीने का एक और बेहद ही खूबसूरत मक़सद मिल गया था। या यह कहूं तो गलत नहीं होगा कि अगर हम दोनों एक दूजे की एक-एक आंख बंद भी कर दे तब भी हमारी खुली आंखें मिलकर एक ही मंजिल को तय करेंगी जो है प्यार की मंजिल। इसे ही इस बेहद करीबी रिश्ते के बीच बसा प्यार कहते हैं जो इस रिश्ते को खूबसूरत व मजबूत बनाता है।"

पुनीत की बातें सुनकर माँ निःशब्द सी थी क्योंकि वह अतीत की यादों में गोता लगा रही थी कि अगर पुनीत के पापा का प्यार व साथ न होता तो आज वह भी एक रिटायर्ड टीचर न होती। अपनी भीगी पलकों को छुपाते हुए उन्होंने पुनीत को अपने गले लगा लिया व पुनीत को अपने लिए भी एक कप चाय बनाने का आर्डर देकर खुद लग गई सौम्या का नाश्ता तैयार करने के लिए।

मोना कपूर

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