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स्वरचित बाल गीत शीर्षक-"गर्मी की छुट्टियां"
स्वरचित बाल गीत शीर्षक-"गर्मी की छुट्टियां" शोर शराबा हल्ला गुल्ला,गली मोहल्ले घर आंगन में गर्मी की छुट्टी का आलम, खुशियां हैं बच्चों के मन में अलमारी में रखा हुआ हर बस्ता भी इतराता है राहत मिली मुझे मेरे मालिक कहकर बल खाता है टीना मीना शबनम शानू मिलकर खेलें गिट्टियां लगें सुहानी छुट्टियां... दादा दादी के संग रहकर चहका फिरता हर बच्चा किस्से और कहानी सुनकर सुख मिलता उनको सच्चा इनडोर गेम खेलें सब, कंप्यूटर पर करते मौज नए जमाने के बालक ये, धूम मचाती इनकी फौज तपती लू से राह बनी ज्यों,भभक उठीं हों भट्टियां लगें सुहानी छुट्टियां.... गर्मी कहर ढहाती है और गुलमोहर मुस्काते हैं- उनकाअभिनंदन करने को अमलतास झुक जाते हैं, नाना नानी के घर जाकर बच्चे मौज उड़ाते हैं- खेल-खेल में अच्छी बातें उनको सभी सिखाते हैं. निर्मित होतीं नई पौध की, नन्ही प्यारी हस्तियां लगें सुहानी छुट्टियां... खरबूजे,तरबूज और आम, लीची आडू और बादाम कुल्फी शरबत आइसक्रीम से, जीभ धन्य हो आठों याम नृत्य गीत संगीत से जुड़ें,बालक कौशल कला निखारें नित्य नए सपने गढ़ते हैं ,प्रतिभाशाली पंख पसारे फिर ऊंची परवाज भरें वे,नई बसाएं बस्तियां लगें सुहानी छुट्टियां.... जल-क्रीड़ा में मगन रहें सब,नहा रहे हैं सुबहो-शाम नन्हों की किलकारी गूंजे, रटते हैं राम का नाम कागज की कश्ती मतवाली चला रहे हैं नौनिहाल जल के लिये सभी चिंतित हैं,बना लिये हैं कृत्रिम ताल सुखद भाग्य हाथों में लेकर, धन्य हुई हैं मुट्ठियां लगें सुहानी छुट्टियां. ------------- रचयिता- डा. अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली ( सर्वाधिकार सुरक्षित) ( वीडियो क्लिप में लगाए गई सभी तस्वीरें, गूगल से साभार ली गईं)

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by anjugahlot

बालकों का मनभावन समय