तीन खिड़कियां

पति पत्नी के सबन्ध एक दूसरे के साथ समझदारी पूर्ण व्यवहार से मधुर बनाये जा सकते है

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Kusum Pareek
Kusum Pareek 29 Jun, 2020 | 1 min read
Relationship

यह जो खिड़की खुली है उसमें से बाहर का नज़ारा साफ दिखाई दे रहा था ,काले घने बादलों के साथ तेज़ तूफान के आने की आशंका थी और हुआ भी वही ,जितनी तेजी से बिजली चमक रही थी उतनी ही तेजी वैभव के चिल्लाने की आवाज में भी थी ।

तूफान का पानी खिड़की के सहारे कमरे में पहुंच रहा था ,----इधर गुस्से में भनभनता हुआ वैभव पता नहीं, क्या क्या बोलते जा रहा था ।

केवल इतना समझ आया कि मेरे माता पिता भी बीच में घसीट लिए गए है और इसी के साथ ,पानी बहुत अंदर तक आकर घर को तहस नहस न कर दे , मैंने उठकर वह खिड़की जोर से बन्द कर दी । यह खिड़की "क्रोध" की थी ।

"एक तेज निगाह से वैभव को देखा व सधे हुए कदमों से चलकर कमरा बन्द करके सो गई ।"

बाहर से तूफान की आवाज भी आ रही थी व कमरे के बाहर वैभव भी दरवाजा पीट रहा था ।


सुबह जब आंख खुली तो चारों ओर शांति थी ।

रात के तूफान ने अपने चिन्ह तो छोड़ रखे थे लेकिन मेरा भी संकल्प था कि उस तूफान की धूल मिट्टी को साफ करके ही छोड़ना है।

सुबह की किरणें अपने पँख पसारने लगीं थी ,मैंने चाय बनाई व एक कप वैभव को दे आई जो सोफे पर ही सो रहे थे ।



बैडरूम की खिड़की के काँच से देखा कि सुबह की धूप दस्तक दे रही थी ।

मैंने एक खिड़की खोल दी जो "सहनशीलता" की थी और जिससे ,पानी थमने के बाद की सौंधी खुशबू आ रही थी ।

इतने में ही एक मजबूत पकड़ ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया व मेरा चेहरा ऊपर उठाया लेकिन मेरी ऑंखों में उदासी का भंवर था । 

विभा ,तुम मुझे माफ़ करदो ।

मैं गुस्से में जाने क्या क्या बक गया ?  


मैं कुछ नहीं बोली ,बस जो कहना था ,मेरी आँखें कह रही थी -----अपनी अश्रुधारा द्वारा ---जिनको मैंने रात को खिड़की बंद करने के साथ ही बाहर आने से रोक लिया था ।

मेरा उदास चेहरा देखकर वैभव किचन की तरफ चले गए -अब उनके हाथ मे चाय की ट्रे थी ,तब तक मै तीसरी खिड़की भी खोल चुकी थी ,उससे सूर्य की सुहानी किरणे हमारे ऊपर छन छन कर आ रही थी और वह खिड़की क्षमा की थी ।

अब मैं वैभव के चुटकले पर जोर से हंस रही थी ।

रात का तूफान खिड़कियों के सही तरीके से बन्द करने व खोलने से बिना कोई नुकसान पहुंचाए गुजर चुका था ।


कुसुम पारीक 

मौलिक ,स्वरचित


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Kusum Pareek

kusumu56x

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonia Madaan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Well written

  • Kusum Pareek · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद आपका

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