कैक्टस

बुढ़ापे में पड़ोस में रहने वाले लडको का जोर जोर से बातें करना अखरता है लेकिन जब वही उनकी जान बचाते है तब उनकी अहमियत समझ आती है

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Kusum Pareek
Kusum Pareek 18 May, 2020 | 1 min read

"कैक्ट्स"

आज चार दिन बाद अस्पताल से रेणु जी को छुट्टी मिली थी ,कमजोर हो चुके शरीर को लकड़ी के सहारे धीरे -धीरे चलते हुए अपने घर में प्रवेश किया व आराम करने के लिए तकिए पर सिर रखा ही था कि पड़ोस की सीढ़ियों से उतरने के कई पदचाप धड़ धड़ करते हुए सुनाई दिए ।

एक तो बीमारी की कमजोरी और दूसरे अकेले पन की संत्रस्त जिंदगी में यह खलल उनको बहुत ही नागवार गुजरा ।

समय-असमय घर आना व खिलखिला कर जोर से हंसना उन जैसे मधुमेह व दिल के मरीज को और भी ज्यादा परेशान कर देता था ।

कुछ दिन में उनकी तबियत थोड़ी सुधरी लेकिन माहौल में छाई मौसम की खुमारी भी उनकी उदासी को दूर नहीं कर सकी ।

आज दो दिन के बाद बारिश रुकी थी ,मौसम खुशनुमा हो रहा था

आज बगीचे की देखभाल करते हुए एक जगह पर नज़र पड़ी तो वहाँ पर एक कैक्टस उगा हुआ दिखा जिसके कांटे चारों तरफ फैल चुके थे ।

उसे देखते ही रेणु जी के मन में विचार कौंधा," यह तो बड़ा ही अपशकुनी होता है घर में। "

और उन्होंने माली से उसे कटवाने की सोच ली ।

जब माली आया तो मैंने उसे कहा," यह कैक्टस काट देना ।"

वह बोला ," मेमसाहब यह कैक्टस आपके डाइबिटीज़ व दिल के रोग में बहुत लाभदायक होती है। आप इसे न ही काटें तो बेहतर होगा।"

अचानक पड़ोस वाले घर पर नज़र पड़ी और चारों हँसते-बतियाते हाथों में बैग लटकाए सीढियां उतर रहे थे ,शायद अपने कॉलेज या काम पर जा रहे होंगे ।

"अच्छा है अब सारे दिन शांति रहेगी " यह सोचते हुए वह अंदर आकर लेट गईं ।

रात गहराने लगी उन्होंने हल्का सा दलिया खाया और जाकर लेट गईं ।

उनके चेहरे पर एक अलग सी बेचैनी सी छाई हुई थी जो उन लड़कों के हंसने की आवाज़ से और गति पकड़ रही थी ।

वह सोच ही रही थीं कि आज शाम को इनके मकान-मालिक से बात करके इन चारों को यहां से निकलवा कर ही रहूंगी ।

इस खयाल के साथ ही न जाने कब आँख लग गई ।

अचानक रात को उनके सीने में तेज दर्द उठा और वह जोर से कराह उठीं ।

उनका चिल्लाना अनवरत चालू था ।अचानक उन्हें तीन चार साये कमरे में दाखिल होते हुए दिखे ,पास आने पर स्पष्ट हुआ कि वे वहीं चारों लड़के थे जो दीवार फांद कर उनके घर में आ गए थे ।

दो मिनट बाद ही एम्बुलेंस भी पहुंच चुकी थी

तीन दिन बाद आईसीयू से बाहर आईं तब डॉक्टर ने बताया कि इन चारों ने ही आपको बचाया अन्यथा आपका बचना नामुमकिन था ।

तब तक कैक्टस की तरह ही चारों लड़के उनके जीवन का हिस्सा बन चुके थे ।इनका खिलखिलाना व समय असमय मेरे घर आना अब रेणू जी के लिए इन्सुलिन व ऑक्सीजन का काम कर रहे थे ।

कुसुम पारीक

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