मैं गुलशन नहीं हूं चमन का जो तुम यूंही तोड़ लोगे,
माना कि बोली में मिठास है तो क्या रिश्ता जोड़ लोगे।
चुना है मैंने रास्ता जो दूर से तन्हा नजर आता हैं,
इस गलतफहमी में मेरे लिए अपना रास्ता मोड़ लोगे।
बाशिंदा हूं मैं भी इसी बेगैरत दुनिया की समझलो,
लचीला रबड़ नहीं जिसे सहूलियत सा मरोड़ लोगे।
बदन चमकता है शबनम सा तुम्हे खींचता भी है,
पर जागीर नहीं हूं तुम्हारी जो मर्जी से निचोड़ लोगे।
नौसिखिया है "ज्योति" जिंदगी जीना सीख रही है,
नादान परिंदे को सिखाओगे या यूहीं छोड़ लोगे।
ज्योति अग्रवाल
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bahut khoob di 🙌
Nice
वाह
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