ऐ बच्चियों जब तलक
पैरों पर हो ना खड़ी
ब्याह ना करना
भूल जाना इश्क, मोहब्बत की बातें
जब तक पा ना लो मंजिल
इकरार ना करना
ब्याह ना करना
बड़े अच्छे लगेगे बेशक
आराम करते वे लोग
छू लो ना जब तक छोर
तुम विश्राम ना करना
ब्याह ना करना
उकसायेगे बेशक! तुम्हें तुम्हारे अपने
घर-बार सब अच्छा
सुनहरे होगे सपने
पर जब तक ना सर उठा लो
तुम विश्राम ना करना
ब्याह ना करना
पा लो जो मंजिल
हो जाये जो सब हासिल
पर स्वाभिमान को करे कोई तार-तार
ऐसे प्रलोभनों से आँखें चार ना करना
ब्याह ना करना
ऐ बच्चियों जब तलक
पैरों पर हो ना खड़ी
ब्याह ना करना
एकता कोचर रेलन
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very beautiful poem
Vinita Tomar thanku dear
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