वो देखों लोगों को , आ रहे हैं मुझे नापने-तौलने
मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीँ, इसकी दुहाई बोलने
मैं नहीँ जानती खुद को, जितना ये जानतें हैं मुझको
ये लोग हैं लोग
क्या सुनी है आपने मेरी कहानी लोगों की ज़ुबानी
ये लोग हैं लोग
बेमतलब की बातें इनकी, कहानियाँ हैं बेमानी
नहीँ चाहती हूँ इनका मुँह बंद करना
कि मेरी बदनामी में भी तो नाम है
ये लोग ना होंगे तो मेरा होना ही बेनाम है
जानना चाहती हूँ अबकी बार
अपनी ही कहानी इन लोगों की ज़ुबानी
देख तो लूँ क्या जोड़ा और बेवजह क्या तोड़ा
देख लूँ मेरी कहानी का रुख लोगों ने किधर है मोड़ा
बहुत मज़ा है इस कहानी का किरदार बनने में
लोगों के मुँह अपनी कहानी असरदार बनने में
जो काम मैं ना कर पाईं, वो लोगों ने कर दिखाया
जीवन का नया पाठ हर बार ही लोगों ने सिखाया
ये लोग ना होते तो मेरा होना ही बेनाम है
लोगों की मेहरबानियों से ही तो
जग में अपना नाम है
स्वरचित
दीपाली सनोटीया
19/04/2012
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well penned
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