लड़ाई के बाद एक सैनिक
लौट रहा था घर की ओर
रास्ते में उसे लहू से भीगी
सड़क दिखाईं दी
ज़हन में था सवाल,
क्या युद्ध यहाँ तक छिड़ा था?
मैं तो सीमाओं पर डटा था
दुश्मन को थी धूल चटाई
लहू तो वहाँ बहा था
फ़िर यहाँ क्यूं लहू से भीगी सड़क है?
यहाँ क्यूं लग रहा मैदाने-कारज़ार है?
सब क्यूं लग रहा बेतरतीब?
सरे-शाम सैनिक पहुँचा अपने गाँव
पामाल से मंज़र थें,
अपनों की पीठ में घुसे हुएं खंजर थें
ग़नीम यहाँ कौन घुस गया था?
क्या वो तड़ीपार, ग़ुमनाम, ग़ुमराह बाशिंदा था?
या सियासतों की चाल थी
पूरे गाँव की सब्ज़ धरा बेहाल थी
ज़हन में सैनिक के कुछ सवाल थें
क्या सीमाओं के अंदर भी मेरी ज़रूरत है?
क्या यहाँ उदासीन से सारे हज़रत हैं?
फ़क़त इतने ही संजीदा सवाल थें
स्वरचित एवम् मौलिक
दीपाली सनोटीया
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बेहद संजीदा सवाल
वाकई यही सवाल है
Please Login or Create a free account to comment.