फ़क़त इतने ही संजीदा सवाल!

सीमाओं पर लड़ने वाला सैनिक अक्सर यही सोचता है कि सीमाओं के अंदर सब ठीक है।

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Deepali sanotia
Deepali sanotia 28 Jul, 2021 | 1 min read

लड़ाई के बाद एक सैनिक

लौट रहा था घर की ओर

रास्ते में उसे लहू से भीगी

सड़क दिखाईं दी

ज़हन में था सवाल,

क्या युद्ध यहाँ तक छिड़ा था?

मैं तो सीमाओं पर डटा था

दुश्मन को थी धूल चटाई

लहू तो वहाँ बहा था

फ़िर यहाँ क्यूं लहू से भीगी सड़क है?

यहाँ क्यूं लग रहा मैदाने-कारज़ार है?

सब क्यूं लग रहा बेतरतीब?

सरे-शाम सैनिक पहुँचा अपने गाँव

पामाल से मंज़र थें,

अपनों की पीठ में घुसे हुएं खंजर थें

ग़नीम यहाँ कौन घुस गया था?

क्या वो तड़ीपार, ग़ुमनाम, ग़ुमराह बाशिंदा था?

या सियासतों की चाल थी

पूरे गाँव की सब्ज़ धरा बेहाल थी

ज़हन में सैनिक के कुछ सवाल थें

क्या सीमाओं के अंदर भी मेरी ज़रूरत है?

क्या यहाँ उदासीन से सारे हज़रत हैं?

फ़क़त इतने ही संजीदा सवाल थें


स्वरचित एवम् मौलिक

दीपाली सनोटीया













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Deepali sanotia

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Comments

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  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    बेहद संजीदा सवाल

  • Ruchika Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाकई यही सवाल है

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