मैं बीच का बंदर हूँ
अपनी पीठ में दर्द अपार पाता हूँ
मैं मध्यम वर्ग कहलाता हूँ
मेरे खून में ईमानदारी है
सब समझ सकूँ ऐसी समझदारी है
देश के कोष भरते जाता हूँ
अपने घर में ही छला जाता हूँ
मैं बीच का बंदर हूँ
अपनी पीठ में दर्द अपार पाता हूँ
मैं मध्यम वर्ग कहलाता हूँ
मेरे कंधे कुछ झुके से हैं
मेरे कदम कुछ रुके से हैं
मेरी पीड़ा को सब जानते हैं
फिर भी मुझे ही चूसने की ठानते हैं
मैं बीच का बंदर हूँ
अपनी पीठ में दर्द अपार पाता हूँ
मैं मध्यम वर्ग कहलाता हूँ
मुझसे जो बड़े हैं वो मज़े में हैं
मुझसे छोटे हैं उनके दिमाग जमे से हैं
उन छोटो की नैया पार लगाता हूँ
मैं इस घर का खेवनहार कहलाता हूँ
मैं बीच का बंदर हूँ
अपनी पीठ में दर्द अपार पाता हूँ
मैं मध्यम वर्ग कहलाता हूँ
स्वरचित
दीपाली सनोटीया
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर
well penned
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