इस ज़िदंगी की यही फ़रमाइश है

Love

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Deepali sanotia
Deepali sanotia 17 Jul, 2022 | 1 min read
# love# poetry # life

कुछ पल यूंही बीता लेते है,

दो घड़ी ही सही तेरे दामन में

अरमानों का कारवाँ लगा लेते है,

तलबग़ार इस दिल की यही एक ख़्वाहिश है,

इस ज़िदंगी की यही फ़रमाइश है।।


कभी सोचते है तुझे साथ ले ले,

हसीं हो जाएगी रहग़ुज़र तेरी मौजूदगी में,

तुझे साथ चलने को मना लेते है,

मान जा दिलनशीं तुझसे यही गुज़ारिश है,

इस ज़िदंगी की यही फ़रमाइश है।।


कोई होता जो हमारी पैरवी भी कर लेता,

तेरे दिल में भी हमारे लिए जुनूं भर देता,

थोड़ा तो धड़क जाए तुम्हारा दिल,

किसी के ज़रिए ही सही ये हमारी ही सिफ़ारिश है,

इस ज़िदंगी की यही फ़रमाइश है।।


जो मचल रहा है लहू का कतरा-कतरा,

तुझे देख कर ही तूफ़ान उठ रहा,

तेरी बेरुखी को इक पल ना सह पाएँगे,

अब तो क़दम-क़दम पर हमारी आजमइश है,

इस ज़िदंगी की यही फ़रमाइश है।।


स्वरचित एवं मौलिक

दीपाली सनोटीया


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