बेपरवाह, बेलगाम, बेढंग सा हो चला
वो रस जिसमें जीवन है
वही विपदा का कारण हो चला
पानी रे पानी तू जीवन है
पानी रे पानी तुझमे सृजन है!
ये कौनसे पापों को धोने का बिड़ा तुने उठाया है
तेरा प्रचंड रूप देख बच्चा-बच्चा भी घबराया है
उत्तराखंड से केरल तक, महाराष्ट्र से आसाम तक
तेरी मौजें दहलाती हैं
ना जाने कितनों का आशियाना बहा ले जाती हैं
पानी रे पानी तू प्यास बुझाता है
पानी रे पानी तू ही तो नैया पार लगाता है!
अब के बरस जो तरस रहा है तेरे लिए, वहाँ भी बरसना
जो डर रहा है तुझसे, उसे भयभीत ना करना
हम बुद्धिमान, तुझको खो कर जी ना पाएँगे
तुझे संरक्षित करने का बिड़ा हम ही उठायेंगे
तू बस हम पर इतनी मेहर करना
हमारे हौसलों को तुझ-सा ही तरल रखना
पानी रे पानी तू मीठा है, कहीं खारा है
तेरे होने से ही तो ज़िदंगी का नज़ारा है!
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