Deepali sanotia
Deepali sanotia 12 Apr, 2022
तजुर्बा
लफ़्ज़ जब खामोश हो तब भी लम्हा-लम्हा ज़िन्दगी अपना कारवा चलाती है, ये ज़िन्दगी गुज़रती जाती है, ख़ामोश से लफ़्ज़ों को बुलन्द आवाज़ देकर जाती है और ये दुनिया इसे ही तजुर्बा बताती है।

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by deepalisanotia

12 Apr, 2022

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