Deepali sanotia
26 Oct, 2021
प्रतीक्षारत है मन मेरा
मन के कल्मष धुल जाएँ सारे
ऐसा उजियारा लाना है
प्रतीक्षारत है मन मेरा
उस स्याह रात्री को दीपदान कर
सब के साथ स्वयं को भी जगमगाना है
ज्योत से ज्योत जब मिलती है
तब मिलता है संदेश जगत को
एक सूत्र में बँधने का
दीपमाला से जगमग धरा पर
एक दूजे का होने का
Paperwiff
by deepalisanotia
26 Oct, 2021
Microfable contest #lighteup yourself
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