Deepali sanotia
Deepali sanotia 24 Jun, 2022
शायरी
ज़िदंगीभर के लिए सोचा था तुम ख़ुश-ए-ख़्वाब रहोगे तुम धुआं हो गए ज़िदंगी अब भी बाकी है इस नए मोड़ पर एक ख़ुश-ए-ख़्वाब दस्तक दे रहा दिल की गहराईयों में क्या हम बेवफ़ा कहलायेंगे

Paperwiff

by deepalisanotia

24 Jun, 2022

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