Deepali sanotia
10 Sep, 2022
चल चले कहीं दूर...
उबलता सागर जज़्बातों का हो ना जहाँ
ख़ूबसूरत राहों में, मंज़िल की गरज ना जहाँ
ज़हर फैलाती प्रतिस्पर्धा अनचाही जहाँ
ईर्ष्या के कांटे, ना विदीर्ण हालात जहाँ
ग़र जो जगह ऐसी मिल जाएँ
चल चले कहीं दूर
बना ले एक नया जहाँ
Paperwiff
by deepalisanotia
10 Sep, 2022
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