Deepali sanotia
Deepali sanotia 22 Feb, 2022
मन पंछी सा मेरा
मन पंछी सा मेरा पंख मेरे बुलंद-परवाज़ कर रही हूँ कब से पीछा सपनें दे रहे आवाज़ सपनों को चुन कर लाना है अपने भी अस्तित्व का एक घोंसला बनाना है उस आशियाने में सब कुछ ही मेरा होगा मेरी ही पहचान का रैन बसेरा होगा पंछी सा मन ऊँची उड़ान पाता है मेरे पंखों को खुला आसमां बहुत ही भाता है

Paperwiff

by deepalisanotia

22 Feb, 2022

Microfable contest

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.