Deepali sanotia
Deepali sanotia 07 Jul, 2022
बरखा
बूँदों के घुँघरू छनकाती बरखा नर्तन करने आती है गीले पाँवों से मन आंगन को गुलो गुलज़ार कर जाती है कहीं इक ताल कहीं तीन ताल सा मौसम होता जाता है बरखा के पर्दों में छुपकर मन को बहुत लुभाता है रे बरखा तू रानी मन की बादल तेरा राजा है पटक पटक कर पैर कहीं पर तुझे ज़मीं पर सजाता है छनक छनक कर बूँदें देखो कैसा राग सुनाती हैं मटक मटक कर घर आंगन को गीली चुनर पहनाती हैं ये बरखा मेरे मन को बहुत लुभाती है... मेरे मन को बहुत लुभाती है

Paperwiff

by deepalisanotia

07 Jul, 2022

Microfable contest#rain#monsoon

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