
Deepali sanotia
19 Jun, 2021
सपनों के पंख
एक कागज़ की कश्ती में
सपनों का एक लंगर था
कश्ती कुछ हल्की सी थी
सपनें कुछ भारी से थें
सपनों के पंख भीग रहें थें
कश्ती को अपनी ओर खींच रहें थें
एक हवा का झोंका आया
कश्ती नदी के पार हुई
किनारे को स्वीकार हुई
सपनों का लंगर सूख गया
किनारे पर आकर रुक गया
सपनों ने अपने पंख फैलायें
भरी उड़ान, मंद-मंद मुस्कायें
कागज़ की कश्ती तट पर डौल रही थी
फ़िर मिलेंगे ऐसा बोल रही थी
Paperwiff
by deepalisanotia
19 Jun, 2021
Microfable contest #कागज की कश्ती
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