Deepali sanotia
03 Mar, 2022
लकीरें
फिर खीच जाएंगी कुछ और लकीरें
कुछ टुकड़े ज़मीन के भी मिल जाएंगे
तैयारियाँ विनाश की होगी और मानवता घबराएगी
इन सरहदों का उपहार मानवता ही पाती है
प्रभुता की लालसा होती है और स्वयं के लिए बँधनों का चक्रव्यूह रचाती है
साँसों पर लगे पहरें भी आँखों को खोल ना पाएँ
हे प्रभु!
इस हाल में कोई कैसे मानवता निभाएँ
Paperwiff
by deepalisanotia
03 Mar, 2022
Microfable contest
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