Deepali sanotia
06 Jul, 2022
प्रतीक्षारत एक नदी
इन तपती झुलसती वादियों में अभी भी बह रही है
सूखे गले से सिकुड़ती प्रतीक्षारत एक नदी
कुछ घनघोर बादल उसे ठेंगा दिखा रहे हैं
सोच रहे हैं थोड़ा छका ले उसे
उसकी सूखती आस और मचलती प्यास की दास्ताँ
एक-एक बूँद ने महसूस कर ली है
तोड़कर सारे बंधन देखो बूँदें उससे मिलने आई हैं
आज तो उनकी नदी संग हो रही सगाई है
ख़ुशी के मारे झूमती है अब नदी
देखो कल-कल करती किनारों को चूमती है अब नदी
Paperwiff
by deepalisanotia
06 Jul, 2022
Microfable contest #rain
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