तेरा ज़िक्र जो आए
तो आंखों से आंसू बह जाएं
दिल चाहे कि तू आ जाए
पर तू तो आसमान में
बन गई जैसे कोई तारा
ओ मां
तेरे बिन ना कोई मेरा सहारा
लगा दे अर्जी उस प्रभु के आगे
कि तू एक बार लौट कर
अपनी संतान से मिल आए
जो बातें रह गई थी
वो कर आए
जब जी भर जाए
तो लौट जाना
पर एक बार उस प्रभु को जरूर मनाना
कि कोई भी मां ना छोड़ कर जाए अपने बच्चों को
इस तरह अकेला
जैसे तू छोड़ गई हमें
घर में सब हों चाहे
अगर मां ना हो
तो लगता नहीं घर कभी घर
मायका भी ना होता मां बिन
ये जाने सिर्फ वो बेटी जिसकी मां नहीं मायके में
जो बुला कर मायके में
करती थी इंतज़ार
वड़ी,पापड़,अचार,मठरी
और ना जाने क्या क्या बांध देती थी साथ
घोलकर उसमें अपना प्यार
मां के बाद बस वही सब रह जाता है याद
करते हैं कभी कभी पिता भी मां बनने की कोशिश
चाहकर भी ना कमी निकालना कभी उस पिता में
वो भी तो निभा रहा है दोहरा किरदार
एक वो जो जमाने के आगे मजबूती से खड़ा हुआ है
तो दूसरा एक कमज़ोर पति
जो ना रोक पाया अपनी पत्नी को जाने से
जो कर ना पाया उसकी इच्छाएं पूरी
जो रह गया नितांत अकेला
इस जीवन की डगर में
मां के बाद पिता को ही मां समझना
ना रोना बस प्रभु का शुक्र करना
मां तू भी उस प्रभु से दुआ करना
तेरे बिना पिता भी ना रहे तन्हा
उनके चारों और लगा रहे बच्चों का मेला
नाते नातिन उनको रखें व्यस्त इतना
कि भूल जाएं वो दुख अपना
मौलिक एवं स्वरचित
चेतना अरोड़ा प्रेम
Comments
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Thanks I have changed 👍🏻
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