आज रूबी जब बेटे को ले कर पार्क गई तो उसकी दोस्ती रीमा से हुई।अब दोनों रोज़ शाम को मिलने लगी। आपस में हंसी मज़ाक करती,अपना सुख दुख कहती।इस तरह 15-20 दिन की दोस्ती हो गई थे दोनों की।
रूबी की एक आदत थी वो सुबह की चाय आपने पति के साथ बालकनी में बैठकर पीती थी।चाहे दुनियां इधर की उधर हो जाए दोनों पति पत्नी सुबह की चाय साथ ही पीते थे।इसी बहाने दोनों को एक दूसरे के लिए वक्त मिल जाता था।
एक दिन जब रूबी पार्क में गई तो रीमा आपने पति के बारे में बातें करने लगी कि मेरे पति, मेरा व बेटे का ध्यान नहीं रखते।मेरे जन्मदिन या वर्षगांठ पर भी ना कोई तोफा देते हैं ना ही कभी मानते हैं।अपने मां बाप व बहन भाई चाहे दूर भी रहते हैं फिर भी उन्हें पूरी वैल्यू देते हैं।
ये सुन रूबी भी बोली,"अरे तो क्या हुआ मेरे ये भी ऐसे ही हैं।शुरू शुरू में बहुत बुरा लगता था पर अब आदत हो गई है।"
अब तो रोज़ रीमा किसी ना किसी बहाने अपने पति के किस्से सुनाने लगती।ये सब सुन रूबी को अच्छा नहीं लगता रोज़ रोज एक ही टॉपिक।अब उसे असुरक्षा की भावना घेरने लगी।तो वो भी थोड़ा बहुत अपने पति कि बुराई कर देती जिससे रीमा को ये ना लगे कि भगवान ने उसे ही ऐसा पति दिया है।कहते हैं ना किसी कि भी ज्यादा तारीफ नहीं करनी चाहिए नहीं तो नजर लग जाती है।बस यही सोच वो थोड़ी बहुत अपने पति की बुराई करने लगी।
फिर कहती छोड़ो ना ये तो हर घर की कहानी है इस संसार में कोई भी पूरी तरह सुखी नहीं है।
एक दिन रीमा सुबह की सैर पर निकली तो उसने रूबी व उसके पति को बालकनी में बैठे हुए व आपस में हंसी मज़ाक करते देख लिया तो हैरान हो गई।
शाम को जब दोनों मिली तो रीमा ने बड़े शिकायती लहजे में रूबी से कहा," तुम तो कहती हो तुम्हारे पति में भी इतनी कमियां हैं वो तुम्हारा ध्यान नहीं रखते लेकिन तुम लोग तो बड़े मज़े से बालकनी में बैठ कर चाय पी रहे थे।"
ये सुनकर रूबी बोली,"रीमा हम पति पत्नी हैं जानी दुश्मन नहीं और रही बात की मेरे पति में कमियां हैं तो मुझ में भी बहुत सी कमियां हैं।शायद ही ऐसा कोई होगा जिसमें कमियां ना हों।अगर तुम्हारे पति तुम्हारा जन्मदिन व वर्षगांठ नहीं मानते तो तुम भी शुरुवात कर सकती हो।अगर तुमने ये सब करके देख लिया है और उन पर कोई असर नहीं होता तो वो जैसे है उनको स्वीकार करो।टीवी व फिल्में देखकर उनकी अपनी ज़िन्दगी से तुलना मत करो।क्यूंकि अभिनेता को पैसे मिलते हैं एक्टिंग करने के और जरूरी नहीं वो अभिनेता अपनी पत्नी के साथ भी वैसा ही व्यवहार करता है जैसा की वो फिल्मों में अपनी हीरोइन के साथ करता है।पहले पहल में भी बहुत प्रभावित थी फिल्मों से या किसी दूसरी सहेली कि ज़िन्दगी की देखा देखी से लेकिन इन सब चीज़ों से हमारे घर में झगड़ा ही होता था।अब पति को जन्मदिन याद नहीं या याद होने के बावजूद गिफ्ट नहीं लाए सेलिब्रेट नहीं किया तो दूसरों की देखा देखी के चक्कर में हम दोनों में भी बहुत झगड़ा हो जाता था।ऐसा एक बार नहीं हर त्यौहार या विशेष अवसरों पर होने लगा।जिससे हम दोनों दुखी हो जाते थे।फिर हमें लगने लगा कि हर अच्छे दिन हमारे बीच झगड़ा होता है तो हमने मिलकर यही निर्णय लिया कि अब जब भी कोई त्यौहार आयेगा या कोई विशेष दिन हम उसे नहीं मनाएंगे और ना ही झगड़ा होगा।और मेरे पति ने भी कहा तुम्हें जब भी कुछ चाहिए मैं तुम्हें दिलवाऊंगा उसके लिए तुम्हें किसी त्यौहार या विशेष दिन का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।बस हम लोग तबसे ऐसा ही कर रहे हैं और खुश हैं।एक दूसरे से ज्यादा उम्मीद नहीं करते और खुश रहते हैं।इसका मतलब ये नहीं है कि हमारे बीच बिल्कुल झगड़े नहीं होते।आजकल तो हम अपना विशेष दिवस पर कभी अनाथ आश्रम में कुछ दान देकर या कभी किसी गरीब की मदद कर देते हैं।उससे जो खुशी मिलती है उसका तो तुम अंदाज ही नहीं लगा सकती।
लेकिन एक बात कहूं कि मेरे पति इतने भी बुरे नहीं हैं कि में उनके साथ रह ना सकूं।और अगर तुम्हारी बातें सुनती हूं तो तुम्हें तो शक है कि तुम्हारे पति का किसी से अफेयर चल रहा है,वो तुम्हारे साथ समय नहीं बिताते,छुट्टी वाले दिन भी घर से बाहर रहते हैं,तुम्हें सीमित घर खर्च देते हैं और उसमें भी पाई पाई का हिसाब मांगते हैं।तो मुझे नहीं लगता कि तुम्हें ऐसे इंसान के साथ रहना चाहिए तुम्हारा भी तो आत्म सम्मान है कि नहीं। मैं यहां तुम्हारा घर तोड़ने की बात नहीं कर रही पर कभी सोचना इस बारे में कमियां सभी में होती हैं,कोई भी इंसान पूर्ण नहीं है।लेकिन कमियों और चरित्र में अंतर है अगर इंसान का चरित्र ठीक नहीं और वो तुम्हें धोखा दे रहा है तो वो ठीक नहीं है।तुम्हें बेचारी बनकर सब नहीं सहना चाहिए।तुम्हें अपने पति से इस बारे में बात करनी चाहिए।क्यूंकि सच जितनी जल्दी सामने आएगा उतना अच्छा है।और तुम्हें भी प्रैक्टिकल हो कर सोचना पड़ेगा ना की भावात्मक। मैं भगवान से प्रार्थना करूंगी की तुम्हें अपने पति के बारे में गलतफहमी हो और तुम्हारे बीच सब ठीक हो जाए।ये कह कर रूबी अपने घर चली गई।
दोस्तों आपको क्या लगता है कि पति पत्नी का रिश्ता क्या महज एक दूसरे को तोफे देने से ही सही रहता है या आपसी समझ का होना ज्यादा जरूरी है।आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा।
धन्यवाद।
कॉपी राईट @ चेतना अरोड़ा प्रेम।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सही कहा आपने पति पत्नी के रिश्ते में आपसी समझ होना ज्यादा जरूरी है.
नम्रता जी बहुत बहुत शुक्रिया
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