होली के रंग प्रियतमा और नैन सुख के संग

कैसे मनाते हैं नैन सुख अपनी प्रियतमा को और भांग पीकर क्या क्या ड्रामे करते हैं जानने के लिए पढ़ना ना भूलें इस कहानी को

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Chetna Arora Prem
Chetna Arora Prem 28 Mar, 2021 | 1 min read
#relationship

तो फ्रेंड्स मैं आज लेकर आई हूं नैनसुख और प्रियतमा की होली की दास्तान।इनकी एक दास्तान मैंने पहली भी बताई थी।अगर आपने नहीं पढ़ी तो इस कहानी को जिसका नाम है? बलमा अनाड़ी मंगादे घोड़ा गाड़ी ..को जरूर पढ़िएगा?

तो फ्रेंड्स जैसा कि आपको पता है नैनसुख जी तो थोड़े सीरियस टाइप के हैं। वैसे तो वो किसी त्योहार को मनाने में ज्यादा उत्सुक नहीं होते पर इस बार होली के दिन उनकी छुट्टी थी। तो इस बार उन्होंने घर में यह घोषणा कर दी कि कल हम भी होली मनाएंगे।  प्रियतमा खुश तो हुई सुनकर। लेकिन कहीं ना कहीं उसे लग रहा था कहीं यह होली यादगार के साथ-साथ कुछ खतरनाक ना हो जाए। क्योंकि प्रियतमा की छठी इंद्री बहुत तेजी से काम करती है?

तो जैसे ही सुबह हुई चाय नाश्ता करके नैनसुख और प्रियतमा होली मनाने के लिए पहुंचे कॉलोनी में ।तो वहां पर डांस, खाना- पीना और खास तौर पर ठंडाई का भी इंतजाम था। प्रियतमा तो बहुत खुश थी कि आज बहुत समय बाद वो होली मनाएँगे। सब बड़ी मस्ती कर रहे थे इतने में प्रियतमा ने देखा नैनसुख दो गिलास ठंडाई लेकर आ रहे हैं। पहले तो उसने मना किया क्योंकि उसे थोड़ा शक था कि कहीं इसमें भांग न मिला रखी हो।पर नैनसुख के बार-बार कहने पर उसने एक गिलास ठंडाई पी ली।यहां हमारे नैनसुख वह तो अपने गिलास में एक्स्ट्रा भांग डलवा कर आए थे। दो-तीन गिलास उन्होंने भांग वाली ठंडाई पी ली। उसके बाद कभी ना नाचने वाले नैनसुख डीजे पर नाच रहे थे और साथ ही गा भी रहे थे........ रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे.......

प्रियतमा को भी थोड़ी भांग चढ़ने लगी। वह भी बिंदास नाचने लगी। फिर दौर शुरू हुआ नैनसुख के प्रवचनों का ।नैनसुख मेडिटेशन करते थे और प्रवचन सुनते थे। तो बस आज नैनसुख बाबा जी बन गए।वर्षो से जितना ज्ञान भर रखा था वो आज उछल उछल कर बाहर आ रहा था। माइक लेकर लगे प्रवचन सुनाने" यह संसार मिथ्या है, धन तो हाथ का मेल है, क्या लेकर आया था बंदे क्या लेकर जाएगा, कर्म कर फल की चिंता मत कर आदि आदि" पूरी रामायण गीता आज नैनसुख जैसे कंठस्थ करके आए हों।

खैैैर जैसे-तैसे होली मनाई उन्होंने। प्रियतमा की एक फ्रेंड और उनके हस्बैंड उनको घर लेकर गए। घर जाकर नैनसुख तो सोफे पर बैठ कर कभी हंसते, कभी रोते तो कभी प्रवचन देने लगते और प्रियतमा वह अपनी फ्रेंड से बोली, " अरे तुम लोग मेरे घर आए हो तो चलो मैं तुम्हें कुछ बना कर खिलाती हूं" फ्रेंड के लाख मना करनेे पर भी वो घुस गई किचन में मैगी बनाने। पैन में पानी डाला फिर मैगी और बोली अरे मैगी तो पानी में डूब गई,मैगी तो पानी में डूब गई। जब तक मैगी नहीं बनी तब तक उसका यह गाना चालू था। प्रियतमा की फ्रेंड के हस्बैंड वो तो बेचारे नैनसुख के प्रवचन को सुनने के लिए बलि का बकरा बने बैठे थे।

खैर जैसे-तैसे मैगी खाई गई 1-2 घंटे तक उनका यह ड्रामा चलता रहा। फिर उनकी 8 साल की बेटी को समझा कर प्रियतमा के फ्रेंड और उनके पति चले गए।उनकी 8 साल की बेटी आज खुद को घर में बड़ा महसूस कर रही थी। कभी मम्मी को देखती तो कभी पापा को। कभी दोनों के लिए पानी में नींबू निचोड़कर लाती ताकि भांग जल्दी से उतरे और उसके मम्मी-पापा पहले जैसे हो जाएं।

कभी नैनसुख हंसने लग जाते तो 10-15 मिनट तक हंसते ही चले जाते। रोते तो रोते ही चले जाते और कहते यह बरसों का रोना था मेरा जो दबा हुआ था आज निकला है यह तो सदियों की हंसी थी जो आज खुल कर बाहर आ रही है। बच्ची बेचारी टीवी देखने की बजाए आज उनका ड्रामा देख रही थी। और तो और साथ में वीडियो रिकॉर्ड भी कर रही थी।ताकि बाद में उनको दिखा सके उन्होंने क्या ड्रामे किये।प्रियतमा की भांग तो रात तक उतर गई। लेकिन नैनसुख की तो अगले दिन जाकर ही उतरी।

जब अगले दिन उनकी बेटी ने उनको वीडियोस दिखाएं तो नैनसुख ने तो कान पकड़ लिए जिंदगी में कभी भूल कर भी भांग नहीं पाऊंगा। प्रियतमा खूब गुस्सा हो गई कहां तक चली थी होली मनाने और यहां सारा मजा खराब हो गया लोगों के सामने मजाक बना वो अलग।

अब नैनसुख को रूठी हुई प्रतिमा को मनाना था। और जो बहुत ही मुश्किल काम था पर अपने नैनसुख भी खतरों केे खिलाड़ी से कम नहीं थे।उसे मनाने के लिए अपने हाथों से अदरक- इलायची वाली बढिया सी चाय बनाई साथ में सैंडविच और एक लाल गुलाब लेेेेकर पहुंच गए अपनी प्रियतमा को मनाने।

उन्हें आते देख प्रियतमा भी गाने लगी......अरे जा रे हट नटखट न छू रे मेरा घूंघट पलट के दूंगी आज तुझे गाली रे.........?


कॉपीराइट @ चेतना अरोड़ा प्रेम।

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