थका हारा आदमी...

जिस आदमी से इतनी उम्मीदें कि जाती हैं क्या उसके मन को कभी समझा किसी ने।उसके मन में उमड़ते विचारों को बताती मेरी कविता।

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Chetna Arora Prem
Chetna Arora Prem 23 Feb, 2021 | 0 mins read
#relationship

थका हारा आदमी चला आता है जब घर

गुलाब के बदले ले आता है फूलगोभी

जनता है पसंद है पत्नी को गोभी के पराठे

सबकी पसंद में अक्सर भूल जाती है

खुद की पसंद

थका हारा आदमी चला आता है जब घर

चॉकलेट की जगह ले आता है जलेबी

बूढ़े मां बाप को बहुत है पसंद

कहते नहीं कभी,ये सोचकर

खर्चे बहुत हैं बेटे के

कहीं लेना ना पड़े उधार


थका हारा आदमी चला आता है जब घर

टेडी बीयर के बदले ले आता है ऊन के गोले

बेटे की स्वेटर हो गई है पुरानी

दो बरस पहले जो लाई थी उसकी नानी

नई स्वेटर में बेटा भी लगेगा जीता जागता टेडी

भागेगा इधर उधर करेगा शैतानी


थका हारा आदमी चला आता है जब घर

भागकर गले लगा लेती है जब बेटी

और कहती है हैप्पी हग डे पापा

मुस्कुराहट आ जाती है चेहरे पर

सारी थकान दूर हो जाती है

थका हारा आदमी चला आता है जब घर

मां बाप के पास बैठकर जब करता है बचपन याद

मां चुम लेती है माथा और देती है आशीर्वाद

फल मिल जाता है तीर्थों का अपार


थका हारा आदमी चला आता है जब घर

कोई नया वादा नहीं करूंगा अब

पहले ही अधूरे हैं कई वादे

जो किए थे बच्चों व बीबी से

हर बार नया वादा कर बैठता है


मौलिक एवं स्वरचित

चेतना अरोड़ा प्रेम

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Chetna Arora Prem

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