भाभी मैं अपनी पत्नी के साथ ऐसा नहीं होने दूंगा

एक दूसरे को अपने प्रतिद्वंदी समझने की बजाय एक दूसरे को अपने पूरक समझा जाए तो ही परिवार में खुशहाली आती है।

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Chetna Arora Prem
Chetna Arora Prem 21 Jan, 2021 | 1 min read


सिमरन की नई-नई शादी हुई थी और वह शादी करके मुम्बई अपने पति के साथ आ गई वहां उसकी एक फ्रेंड नमिता बनी जिसका 4 साल का एक प्यारा सा बेटा भी था। दोनों साथ साथ बहुत बातें करती। कुल मिलाकर दोनों बहुत अच्छी फ्रेंड बन गई थी एक दिन जब वो शाम को टहल रही थीं तो उन्हें नमिता की फ्रेंड खुशी मिली खुशी का एक प्यारा सा बेटा था। अब खुशी सिमरन की भी फ्रेंड बन गई। कभी कभार खुशी अपने बेटे को घुमाने के लिए पार्क लाती तो सिमरन और नमिता से मिलती।


एक दिन खुशी को उदास देखकर नमिता ने पूछा तो उसने बताया कि उसकी सास ससुर बाजार गए हैं और उसने अभी तक खाना नहीं बनाया उसे टेंशन हो रही है। कब आएंगे कब खाना बनेगा घूमने में भी मन नहीं लग रहा तभी सिमरन बोली तो तुम खाना बनाकर ही आ जाती। खुशी बोली उसको घर में इतनी भी आजादी नहीं है कि वह अपनी पसंद से कुछ बना सके ना ही उसकी सास फोन करके बताती है कि क्या बनाना है मैं फोन करके पूछूं तो वह कहती है जब मैं आऊंगी तभी बताऊंगी क्या बनाना है। नहीं तो मैं अब तक खाना बना लेती। कभी-कभी तो मैं बहुत परेशान हूं जब तक सासु मां घर में नहीं होती तब तक मैं खाना भी नहीं बना सकती टाइम पास करना बहुत मुश्किल हो जाता है। मैं भी चाहती हूँ शाम को तुम्हारे साथ घूमने आऊं लेकिन आ नहीं पाती। मेरा देवर बहुत अच्छा है वो हमेशा मुझे बोलता है कि भाभी आपको आवाज उठानी चाहिए आप की जगह अगर मेरी पत्नी होती तो मैं उसके साथ ऐसा कभी ना होने देता।छह महीने से भाई भी अमेरिका में हैं नहीं तो शायद वह आपकी स्थिति समझ जाते।नमिता क्या करूं मैं, बस अब तो अपने बच्चे के सहारे जी रही हूँ ।पति का फोन घर पर आता है तो सासु मां बात नहीं करने देती इसलिए सामने पीसीओ वाले को मेरे पति फोन करते हैं तभी उनसे बात हो पाती हूँ।यार औरते सास बनकर ऐसे क्यों हो जाती हैं।


नमिता और सिमरन को उसकी बातों से बहुत दुख हुआ।सिमरन बोली मेरी तो नई-नई शादी हुई है और सास-ससुर भी साथ नहीं रहते तो मुझे तो ऐसा कुछ अनुभव नहीं है पर तुम्हारे साथ ये सब गलत हो रहा है तुम्हारा देवर सही कह रहा है अपने स्वाभिमान के लिए तुमहें ही लड़ाना होगा।नमिता ने भी उसकी हां में हां मिलाया।और उसे कहा कि उसे ये सब अपने पति को भी बताना चाहिए ताकि वो अपनी मां को समझाएं।उनकी बातें सुन खुशी के अंदर गलत बात से लड़ने की ताकत मिली।


कुछ दिन बाद जब उन्हें खुशी मिली तो वह बदली-बदली सी और खुश लगी।उसने बताया उसने सारी बात अपने पति को बताई व अपनी सास से साफ-साफ कह दिया घर में सबकी पसंद को ध्यान में रखकर खाना बनेगा और आप बाहर जाएंगी तो मुझे जो खाना बनाना है वो बताकर जाएंगी या मैं अपनी पसंद से बना लूंगी।तब तो सास ऐसे हो गई जैसे उनका राज पाठ ही छिन गया😂 पर जब मेरे पति और देवर ने समझाया कि आपकी बहू भी इंसान है कोई गुलाम नहीं अगर आप उसको बस में करना चाहती हैं तो प्यार से करो ताकि वो इस घर को अपना समझे और इसी की हो कर रह जाए।बस ये बात सासु मां को समझ आ गई अब मैं भी खुश और वो भी खुश।


दोस्तों परिवार में तभी प्यार रहता है जब रिश्ता दोनों तरफ से निभाया जाए एक दूसरे को अपने प्रतिद्वंदी समझने की बजाय एक दूसरे को अपने पूरक समझा जाए तो ही परिवार में खुशहाली आती है।आप इस बारे में क्या सोचते हैं जरूर बताइएगा।


धन्यवाद।


चेतना अरोड़ा'प्रेम'।



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