Chetna Arora Prem
22 Mar, 2021
चांदनी की छांव में
चांदनी की छांव में
चलते हैं एक बार फिर
अपने गांव में
जहां जिया था बचपन
जहां ना मोबाइल था
ना सोशल मीडिया
उस समय ही असल में जिंदगी थी
अभी तो सिर्फ दिखावे कि ज़िंदगी है
पहले लोगों के पास
हुआ करता था वक्त
एक दूसरे को सुनने समझने को
आजकल वक्त सारा खा गया है मोबाइल
इंसान हो गया है इसका गुलाम
घर में रहने वाले सदस्य भी
हो गए हैं एक दूसरे से अनजान
Paperwiff
by chetnaaroraprem
22 Mar, 2021
#today'sreality
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