"शालू खाना बन गया या अभी भी बना ही रही हो, जल्दी से खाना डाल कर दे दे, बिट्टू को खिला देती हूं|"
"मम्मी जी खाना तो बन गया है, लेकिन अभी अभी बिट्टू ने केला खाया है, थोड़ी देर बाद खिला दीजियेगा"
शालू ने अपनी सास सुमन जी से कहा|
"बहू तू मेरे पोते पर नजर लगाएगी, तुझसे खाते पिते नहीं देखा जाता क्या अपने बेटे को | हट ,मैं अपने आप लगा लूंगी अपने पोते की थाली"|
ऐसा बोल कर सुमन जी ने एक थाली में दो रोटी, दाल, चावल, सब्जी, भर कर ले ली|
शालू ने कई बार सासू मां को समझाने की कोशिश की , कि थोड़ा थोड़ा खाना ले ले, खाना दुबारा भी लिया जा सकता है, लेकिन सासू मां नजर लगाने का बोल कर चुप करा देती|
पता था दो साल का बच्चा एक बार में इतना नहीं खा पाएगा, लेकिन कुछ बोलती तो सासू मां उसे ही सुनाती|
सुमन जी पोते को खाना खिलाने की कोशिश में लग गई, बिट्टू कभी इधर भागता कभी उधर| भूख ना होने के कारण खाने में आनाकानी कर रहा था, जैसे तैसे जबरदस्ती दो तीन कोर रोटी के खिलाए| फिर बिट्टू ने उल्टी कर दी|
"आज तो मेरा पोता कुछ खा ही नहीं रहा, जरूर तेरी ही नजर लागी होगी शालू, तू ही खाने में रोक टोक करती हैं|"
ऐसा बोल कर सुमन जी ने जूठी थाली शालू को इस हिदायत के साथ पकड़ा दी कि खाना व्यर्थ ना करें जब शालू खाना खाए तो खा ले|
शालू ने थाली को देखा अध्कचरी सी रोटियों के टूटे हुए कोर, जो दाल में भीग कर गल चुकी थी| बिखरे चावल| शालू को बहुत बुरा लगा|
शालू कितनी ही बार केवल उतना बचा हुआ खाना खा कर ही पेट भर लेती, क्यूंकि उसकी भुख ही मर जाती ,रोजाना ऐसा खाना खाते हुए| कहते है ना खाना पहले हम आंखो से खाते हैं फिर जबान से, अच्छी तरह से सजा हुआ खाना देखकर ही भुख दुगनी हो जाती हैं| एक दिन शालू ने सोचा अब इसका कोई उपाय करना ही पड़ेगा|
जब शालू के पति दोपहर में खाना खाने आए तो शालू ने जूठी थाली परोस दी|
शालू के पति निलेश ने कहा" क्या शालू ऐसे खाना दोगी तो भुख है मर जाएगी, साफ थाली में गर्म गर्म खाना दो|"
सासू मां भी गुस्से में आ गई "बेचारा मेरा बेटा बाहर से थक कर आया है, कम से कम खाना तो ढंग का दे"।
"क्यूं मां जी ये अच्छा खाना नहीं है क्या, मैं तो एक महीने से ये खाना ही खा रही हूं, अब बिट्टू हम दोनों का बेटा है तो इन्हे भी यही खाना खाना चाहिए|"
सासू मां खिसिया कर रह गई, उन्हें समझ आ गया कि शालू क्या कहना चाहती है| निलेश और शालू भी मुस्कुरा रहे थे, उनकी योजना सफल हो गई थी| अगले दिन सुमन जी ने थाली में एक रोटी ही ली समझ गई थी अन्न और अन्नपूर्णा का सम्मान करना ही होगा|
दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी कहानी, आपके भी अपने अनुभव होगे जरूर साझा करें आपके जवाब के इंतजार में आपकी दोस्त
©️®️ वर्षा अभिषेक जैन
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Achi lagi kahani
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